बिहार की नई शिक्षा नीति, 3 दिन की छुट्टी पड़ सकती है महंगी
उच्च शिक्षा में सुधार को लेकर अब शिक्षा विभाग गंभीर रूप अख्तियार कर रहा है.
highlights
- बिहार की नई शिक्षा नीति
- तीन दिन की छुट्टी पड़ेगी भारी
- स्कूल से कट सकता है नाम
Samastipur:
उच्च शिक्षा में सुधार को लेकर अब शिक्षा विभाग गंभीर रूप अख्तियार कर रहा है. बच्चों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए उच्च शिक्षा निदेशक डॉ रेखा कुमारी के द्वारा कई तरह के दिशा निर्देश जारी किए गए हैं. लगातार तीन दिन अनुपस्थित रहने वाले छात्रों का नाम काटने के साथ ही 75% उपस्थित नहीं होने पर एडमिट कार्ड नहीं देने का फरमान जारी किया गया है. उच्च शिक्षा निदेशक के इस आदेश के बाद कॉलेज में छात्रों की उपस्थिति बढ़ गई है, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर और संसाधन के अभाव में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है. समस्तीपुर के सबसे पुराने महाविद्यालय समस्तीपुर कॉलेज समस्तीपुर की स्थिति जान लीजिए. इस महाविद्यालय में विज्ञान और कला संकाय की पढ़ाई होती है.
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बिहार की नई शिक्षा नीति
यहां यूजी और पीजी में कुल 11675 छात्र-छात्राएं नामांकित है, जबकि इंटर में 2048 बच्चे पढ़ते हैं. शिक्षकों की बात करें तो इस महाविद्यालय में शिक्षक के 108 पद सृजित है, जबकि वर्तमान में सिर्फ 51 शिक्षक कार्यरत हैं. इस महाविद्यालय में एआईएच विषय में करीब 150 छात्र और मैथिली विषय में 7 छात्र हैं, लेकिन इन विषयों में एक भी शिक्षक नहीं है. बॉटनी सब्जेक्ट में यूजी और पीजी मिलाकर सिर्फ एक शिक्षक है. अन्य विभागों की स्थिति में बहुत अच्छी नहीं है.
तीन दिन की छुट्टी पड़ेगी भारी
यूजी और पीजी 2-4 शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं. महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ बिरेंद्र कुमार चौधरी का कहना है कि उच्च शिक्षा निदेशक के आदेश में 25 बच्चों का नाम काटा गया है. जबकि 7 बच्चों को शो कॉज नोटिस दिया गया है. छात्रों की उपस्थिति को लेकर जारी निर्देश को प्राचार्य सही ठहरा रहे हैं, लेकिन उनका कहना है कि महाविद्यालय में क्लास रूप और शिक्षकों की घोर कमी है. शत प्रतिशत उपस्थिति होने पर बच्चों को बैठने की जगह भी उपलब्ध नहीं हो सकेंगी. दूसरा बड़ा कारण विश्वविद्यालय के द्वारा कॉलेज में नामांकन की केंद्रीय प्रक्रिया है. इसकी वजह से मधुबनी, दरभंगा, बेगुसराय जिले के बच्चों को समस्तीपुर जिले में दाखिला लेना पड़ रहा है.
स्कूल से कट सकता है नाम
ऐसे में आर्थिक रूप में कमजोर बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. प्रचार्य का कहना है कि महाविद्यालय के स्थापना के समय जो पद सृजित किये गए थे. उसमें बढ़ोतरी करना तो दूर जो पद खाली हुए उसपर भी नए शिक्षकों की बहाली नही की गई. वहीं, कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं उपस्थिति को लेकर जारी आदेश को तो सही बता रहे हैं, लेकिन उनका कहना है कि कॉलेज में इंफ्रास्ट्रक्चर और शिक्षकों का अभाव है. इस महाविद्यालय में कई विषयों में शिक्षक नहीं है. क्लासरूम के साथ-साथ मूलभूत सुविधाओं का आभाव है. दूर दराज के महाविद्यालय में नामांकन मिलने के कारण उन्हें रेगुलर क्लास अटेंड करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
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