Bihar Assembly Election: बिहार में आगामी चुनावों को देखते हुए मतदाता सूची का पुनरीक्षण अभियान शुरू हो गया है. 1 जुलाई से शुरू हुई इस प्रक्रिया के तहत बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) घर-घर जाकर मतदाताओं के दस्तावेजों का सत्यापन कर रहे हैं. यह रिवीजन अभियान 26 जुलाई तक चलेगा, जिसके दौरान सही दस्तावेज नहीं मिलने पर संबंधित व्यक्ति का नाम वोटर लिस्ट से हटाया जा सकता है.
पांच हजार से अधिक बीएलओ तैनात
राज्य की राजधानी पटना में इस काम को अंजाम देने के लिए 5000 से अधिक बीएलओ तैनात किए गए हैं. ये अधिकारी अलग-अलग मोहल्लों और वार्डों में जाकर लोगों से संपर्क कर रहे हैं और उनके पहचान से जुड़े दस्तावेजों की जांच कर रहे हैं.
सत्यापन के लिए किए खास बदलाव
इस बार दस्तावेज सत्यापन को लेकर कई अहम बदलाव किए गए हैं. पहले जहां आधार कार्ड, पैन कार्ड, राशन कार्ड, मनरेगा कार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस को पहचान पत्र के रूप में मान्यता दी जाती थी, वहीं अब इन दस्तावेजों को सूची से हटा दिया गया है. इसके बजाय अब मतदाताओं को अपना जन प्रमाण पत्र (डोमिसाइल सर्टिफिकेट) और पिता के परिवार का जन प्रमाण पत्र देना अनिवार्य किया गया है.
सियासत का केंद्र बना बदलाव
यही बदलाव अब सियासत का केंद्र बन गया है. यहां तेजस्वी यादव ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं. उनका आरोप है कि सरकार इस प्रक्रिया की आड़ में कुछ खास वर्गों और समुदायों को वोटर लिस्ट से बाहर करने की साजिश कर रही है.
तेजस्वी यादव ने खड़े किए ये सवाल
तेजस्वी यादव ने यह भी पूछा कि जब आधार कार्ड देश के हर सरकारी कामकाज में मान्य है, तो उसे वोटर लिस्ट के सत्यापन में मान्यता क्यों नहीं दी जा रही? उन्होंने कहा कि यह निर्णय अल्पसंख्यकों और गरीब तबकों के खिलाफ है, जिनके पास कई बार जन प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं होता. हालांकि, आयोग का कहना है कि यह सुनिश्चित करने की कोशिश है कि केवल वास्तविक और योग्य मतदाता ही सूची में बने रहें.
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