Bihar SIR Update: बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण अभियान (Special Intensive Revision - SIR) के पहले चरण में बड़ा बदलाव सामने आया है. चुनाव आयोग के अनुसार, 24 जून 2025 को शुरू हुई इस प्रक्रिया में अब तक 7.24 करोड़ मतदाताओं को सूचीबद्ध किया गया है. जबकि पहले यह आंकड़ा 7.89 करोड़ था. यानी करीब 65 लाख नाम हटाए गए हैं.
चुनाव आयोग का क्या है कहना
चुनाव आयोग के अनुसार, हटाए गए नामों में 22 लाख ऐसे लोग हैं जिनकी मृत्यु हो चुकी है, 36 लाख लोग राज्य से बाहर चले गए या विस्थापित हो गए हैं और 7 लाख लोग अब दूसरे स्थानों पर रह रहे हैं. आयोग ने दावा किया है कि यह कदम मतदाता सूची को साफ और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है ताकि मृत, डुप्लीकेट और गलत जानकारी देने वाले नामों को हटाया जा सके.
घर-घर जाकर की गई प्रक्रिया
यह प्रक्रिया राज्य के सभी 38 जिलों में बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) और बीएएलए (बूथ लेवल एजेंट) के माध्यम से घर-घर जाकर की गई. 25 जुलाई तक इस अभियान के पहले चरण को पूरा कर लिया गया है जिसमें 99.8% मतदाताओं को कवर किया गया.
अब 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक योग्य लेकिन छूटे हुए मतदाता अपने नाम शामिल कराने के लिए आवेदन कर सकेंगे. इस दौरान डुप्लीकेट नामों को हटाकर केवल एक जगह नाम रखा जाएगा.
विपक्षी दलों ने दी तीखी प्रतिक्रिया
हालांकि, इस अभियान को लेकर विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. आरजेडी, कांग्रेस और अन्य दलों ने आरोप लगाया है कि एसआईआर के जरिए गरीब, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्ग के मतदाताओं को जानबूझकर सूची से बाहर किया जा रहा है. उनका दावा है कि यह प्रक्रिया एक छुपे हुए एनआरसी की तरह है, जिससे खास समुदायों को वोट देने से रोका जा सके.
तेजस्वी यादव ने इसे लोकतंत्र के खिलाफ बताते हुए आरोप लगाया कि यह एनडीए को चुनावी लाभ पहुंचाने की साजिश है. उन्होंने कहा कि बिहार में बड़ी संख्या में लोगों के पास आवश्यक दस्तावेज नहीं हैं, जिससे वे मतदाता सूची में नाम नहीं जुड़वा पाएंगे.
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