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बिहार राज्यसभा उपचुनाव: सुशील मोदी का निर्विरोध चुना जाना तय

बिहार में राज्यसभा की एक सीट के लिए हो रहे उपचुनाव में नामांकन के अंतिम दिन बृहस्पतिवार तक विपक्षी महागठबंधन द्वारा कोई उम्मीदवार नहीं उतारे जाने से भाजपा उम्मीदवार सुशील कुमार मोदी (Sushil Modi) का निर्विरोध चुना जाना तय माना जा रहा है

Updated on: 04 Dec 2020, 05:19 PM

पटना:

बिहार में राज्यसभा की एक सीट के लिए हो रहे उपचुनाव में नामांकन के अंतिम दिन बृहस्पतिवार तक विपक्षी महागठबंधन द्वारा कोई उम्मीदवार नहीं उतारे जाने से भाजपा उम्मीदवार सुशील कुमार मोदी (Sushil Modi) का निर्विरोध चुना जाना तय माना जा रहा है . लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान के निधन के कारण यह सीट खाली हुई है .

रामविलास अपने कैबिनेट सहयोगी रविशंकर प्रसाद के पटना साहिब लोकसभा सीट से जीतने के बाद खाली हुयी इस सीट पर पिछले साल उपचुनाव में निर्विरोध चुने गये थे . हाल ही में संपन्न बिहार विधानसभा चुनाव में जद (यू) प्रमुख और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व को अस्वीकार्य बताते हुए अकेले चुनावी मैदान में उतरी लोजपा के प्रमुख और रामविलास के पुत्र चिराग पासवान ने शनिवार को कहा था कि यह भाजपा की सीट है और वह इस बात का निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है कि वह किसे चुनाव मैदान में उतारना चाहती है.

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राज्यसभा की इस सीट के लिए हालांकि निर्दलीय प्रत्याशी श्याम नंदन प्रसाद द्वारा भी नामांकन दाखिल किया गया है पर नियमानुसार आवश्यक दस प्रस्तावक विधायकों की सूची उन्होंने जमा नहीं की है. ऐसे में सुशील मोदी का निर्विरोध चुना जाना तय सा है. इस उपचुनाव में नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख सात दिसंबर है.

विपक्षी महागठबंधन का नेतृत्व कर रहे राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने बृहस्पतिवार को कहा कि इस उपचुनाव में उम्मीदवार खड़ा करने का राजद का इरादा कभी नहीं था. चूंकि यह सीट दलित समुदाय से आने वाले दिग्गज नेता रामविलास पासवान के निधन से रिक्त हुआ था.

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इसलिए लोग चाहते थे कि बिहार के विकास में उनके महत्वपूर्ण योगदान को देखते हुए उनके सम्मान में श्रद्धांजलि स्वरुप यदि उनकी पत्नी (रीना पासवान) को उम्मीदवार बनाया जाता तो निश्चित रूप से राज्य का हर निवासी अपने को गौरवान्वित महसूस करता. राजद प्रवक्ता ने कहा कि राजद द्वारा राज्यसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार खड़ा करने की बात आधिकारिक रूप से कभी नहीं कही गई थी. बल्कि राजग के लोगों द्वारा ही ऐसा कयास लगाया जा रहा था . क्योंकि राजग के घटक दलों के बीच अंतर्विरोध एवं अविश्वास की वजह से उस गठबंधन के नेता स्वयं ही सशंकित थे.