Bihar Politics: 'लालू-राबड़ी का काम है प्रवचन देना', जब तेजस्‍वी यादव पर बरसे केंद्रीय मंत्री ललन सिंह

Bihar Politics: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले ही शनिवार को आम बजट के दौरान प्रदेश के लिए सौगातों की झड़ी लग गई. इस बीच राजनीतिक दलों में आरोप-प्रत्यारोप दौर भी शुरू हो गया. इसी क्रम में केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने तेजस्वी यादव पर निशाना साधा.

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Yashodhan.Sharma
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lalan singh vs tejaswi yadav

lalan singh vs tejaswi yadav Photograph: (news nation)

Bihar News: बिहार में केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने तेजस्वी यादव के द्वारा केंद्रीय बजट में बिहार के लिए पुराना पैकेजिंग मामले पर जमकर हमला बोला है. ललन सिंह ने कहा कि तेजस्वी यादव को पूर्ण पैकेजिंग पता नहीं चलेगा. अब यह बताइए कि पुराना पैकेजिंग कैसे है?  क्या मखाना को लेकर जो मखाना वोट की घोषणा की गई वह पुराना पैकेजिंग है? क्या ग्रीन कॉरिडोर की घोषणा की गई वह पुराना पैकेजिंग है? 

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प्रवचन देते हैं लाल-राबड़ी

इसके अलावा ललन सिंह ने पूछा कि क्या IIT को लेकर जो केंद्र सरकार ने बिहार के लिए घोषणा की वह पुराना पैकेजिंग है? उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव को समझ में नहीं आएगा. उनको और उनके माता-पिता को बिहार के विकास से कोई मतलब न था और ना ही आगे रहेगा. उनका काम है प्रवचन देना और वह प्रवचन देते रहे. जनता सब कुछ उनके बारे में जानती है. 

अखिलेश यादव पर साधा निशाना

इसके अलावा सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर भी ललन सिंह ने निशाना साधा. उन्होंने कुंभ मामले पर संसद में बहस करने पर कहा कि यह राज्य सरकार का विषय है, क्या इसके लिए संसद में बहस होगी. उन्होंने कहा कि यह घटना राज्य में घटी है. पूरे मामले की जांच की जा रही है और कार्रवाई भी होगी.

गौरतलब है कि शनिवार (1 फरवरी) को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट पेश किया. इस दौरान उन्होंने बिहार को फोकस में रखकर प्रदेश के लिए कई घोषणाएं की. इसमें मखाना बोर्ड की स्थापना से लेकर आईआईटी, हवाई अड्डों सहित किसानों के लिए सौगातों की बौछार की है. 

फायदेमंद है मखाना बोर्ड

बता दें कि बिहार के लिए आम बजट में जारी घोषणाओं में सबसे ज्यादा मखाना बोर्ड का गठन चर्चा का विषय रहा. अगर ये बोर्ड गठित हुआ तो  कई फायदे प्रदेश को मिल सकते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक इससे मखाना प्रोसेसिंग कंपनियों को लाभ मिलेगा. इसके साथ ही मखाने की खेती और बाजार के लिए भी बोर्ड का गठन लाभकारी साबित हो सकता है. इस पहल का सीधा-सीधा मकसद किसानों का समर्थन करना, निर्यात बढ़ाना और मखाना को एक प्रमुख कृषि उत्पाद के रूप में स्थापित करना और विशेष रूप से बिहार जैसे क्षेत्रों को लाभ पहुंचाना है.  

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