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हाजीपुर सीट को लेकर पासवान परिवार में सियासी घमासान, चाचा-भतीजा बनेंगे एक-दूसरे के दुश्मन!

एक तरफ बिहार की सियासत दिन-ब-दिन गर्म होती दिख रही है तो वहीं दूसरी तरफ बिहार में पक्ष-विपक्ष के द्वारा बयानबाजियों का दौर भी शुरू है. इस बीच चाचा पशुपति पारस और भतीजे चिराग पासवान के बीच सियासी घमासान खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है.

Updated on: 16 Jan 2024, 02:36 PM

highlights

  • हाजीपुर सीट को लेकर पासवान परिवार में सियासी घमासान
  • पटना पहुंचते ही सीएम नीतीश पर जमकर बरसे चिराग पासवान
  • 22 जनवरी को भारतीय राजनीति में जुड़ेगा नया अध्याय

 

Patna:

Bihar Politics News: एक तरफ बिहार की सियासत दिन-ब-दिन गर्म होती दिख रही है तो वहीं दूसरी तरफ बिहार में पक्ष-विपक्ष के द्वारा बयानबाजियों का दौर भी शुरू है. इस बीच चाचा पशुपति पारस और भतीजे चिराग पासवान के बीच सियासी घमासान खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. बता दें कि बिहार की राजनीति में किंगमेकर माने जाने वाले दिवंगत नेता राम विलास पासवान की राजनीतिक विरासत को लेकर चाचा-भतीजे के बीच दुश्मनी दिन-ब-दिन बढ़ती हुई देखी जा रही है. चाचा पशुपति पारस और उनके भतीजे चिराग पासवान दोनों भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के साथ हैं, लेकिन दोनों 2024 में हाजीपुर सीट से चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं. वहीं चाचा पशुपति पारस किसी भी सूरत में हाजीपुर सीट छोड़ने के लिए तैयार नहीं है तो चिराग पासवान हरहाल में सीट चाहते हैं. हाजीपुर सीट पर घमासान बीजेपी की टेंशन बढ़ा रहा है. ऐसे में देखने वाली बात ये होगी कि क्या चिराग से निकली रोशनी से पासवान परिवार रोशन होगा या फिर घर में ही आग लग जाएगी ?

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आपको बता दें कि हाजीपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर राम विलास पासवान ने गिनीज बुक में अपना नाम दर्ज कराया था. 2019 में राम विलास पासवान की जगह उनके भाई पशुपति पारस हाजीपुर सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे, जबकि चिराग पासवान जमुई सीट से चुनाव लड़ते रहे. अब राम विलास पासवान के निधन के बाद चाचा-भतीजे के बीच राजनीतिक वर्चस्व को लेकर दुश्मनी बढ़ी तो पशुपति पारस ने चिराग का साथ छोड़कर पार्टी के अन्य सांसदों के साथ एलजेपी की कमान संभाल ली. वहीं चिराग अलग-थलग पड़ गए और पशुपति पारस केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री बन गए. वहीं इस मुद्दे को लेकर बिहार में नेताओं के बीच खूब वार-पलटवार हुआ.

हाजीपुर लोकसभा सीट पर सियासी घमासान

आपको बता दें कि बिहार में नीतीश कुमार के एनडीए से अलग होने के बाद बीजेपी ने फिर से चिराग पासवान को साथ ले लिया है, जिसके बाद हाजीपुर लोकसभा सीट को लेकर पेंच फंस गया है. हाजीपुर सीट पर जहां चिराग पासवान और पशुपति पारस दोनों ही अपना दावा ठोक रहे हैं, वहीं सीट का बंटवारा अभी तक नहीं हुआ है, लेकिन चिराग पासवान अपनी ताकत दिखाने के लिए मंगलवार को हाजीपुर पहुंच रहे हैं. अब इसको लेकर माना जा रहा है कि चिराग 2024 के लोकसभा चुनाव अभियान की शुरुआत हाजीपुर से ही करने की योजना बना रहे हैं.

हाजीपुर सीट पर कोई समझौता

वहीं आपको बता दें कि हाजीपुर के अक्षयवट राय स्टेडियम में चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी के राम विलास संकल्प महासभा को संबोधित करेंगे. चिराग पासवान ने अपने ऑफिसियल एक्स (ट्विटर) पर लिखा कि, ''बचपन से जहां मैं पापा की उंगलियां पकड़ कर अपनों से मिला करता था. मेरे नेता-मेरे पिता की कर्मभूमि हाजीपुर के अक्षयवट राय स्टेडियम में बिहार फर्स्ट-बिहारी फर्स्ट ‘संकल्प महासभा’ को संबोधित करूंगा.'' इतना ही नहीं चिराग पासवान ने आगे ये भी कहा कि, ''अपनों से मिलकर अपने विचारों को साझा करूंगा, साथ ही भविष्य की रणनीति को लेकर भी चर्चा करूंगा.'' अब चिराग पासवान की बातों से साफ है कि वह हाजीपुर सीट पर कोई समझौता नहीं करेंगे. माना जा रहा है कि इस कार्यक्रम में चिराग की मौजूदगी में उनके हाजीपुर सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा की जा सकती है.

वहीं पशुपति पारस की बात करें तो वह हाजीपुर सीट से सांसद हैं और हाल ही में उन्होंने ऐलान किया है कि वह 2024 में हाजीपुर सीट से चुनाव लड़ेंगे. पशुपति पारस ने साफ कहा है कि, ''वह ये सीट नहीं छोड़ेंगे.'' ऐसे में चिराग पासवान के हाजीपुर पहुंचने और शक्ति प्रदर्शन से चाचा-भतीजे के बीच सियासी दुश्मनी और तेज हो सकती है. हालांकि, बिहार में सीट शेयरिंग तय करने की जिम्मेदारी बीजेपी के कंधों पर है.

NDA में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय नहीं

आपको बता दें कि बीजेपी को बिहार में पशुपति पारस, चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी के साथ सीटें साझा करनी हैं. बिहार में कुल 40 लोकसभा सीटें हैं, जिनमें से बीजेपी को तय करना है कि कौन सी पार्टी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी. बिहार में एनडीए में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला अभी तय नहीं है, लेकिन हाजीपुर सीट को लेकर जिस तरह से चिराग पासवान और पशुपति पारस के बीच मामला फंसा है, उससे बीजेपी की टेंशन बढ़ना तय है. ऐसे में अगर चिराग हाजीपुर से चुनाव लड़ने का ऐलान करते हैं तो पशुपति पारस का क्या होगा ? वहीं देखने वाली बात ये होगी कि बीजेपी उन्हें कैसे बरकरार रख पाएगी?