Bihar News: बिहार में पहली बार छात्र करेंगे एस्ट्रोनॉमी की पढ़ाई, ISRO और NASA तक खुलेंगे रास्ते

Bihar News: यूनिवर्सिटी का नाम महान गणितज्ञ और खगोलशास्त्री आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने चौथी शताब्दी में एस्ट्रोनॉमी पर अहम कार्य किए थे.

Bihar News: यूनिवर्सिटी का नाम महान गणितज्ञ और खगोलशास्त्री आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने चौथी शताब्दी में एस्ट्रोनॉमी पर अहम कार्य किए थे.

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Yashodhan.Sharma
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bihar aryabhatt gyan university Photograph: (social)

Bihar News: बिहार के शिक्षा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है. राज्य की पहली टेक्निकल यूनिवर्सिटी आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय (AKU) में अब एस्ट्रोनॉमी यानी खगोलशास्त्र की पढ़ाई शुरू होने जा रही है. यह पहली बार है जब बिहार की किसी यूनिवर्सिटी में सूरज, चांद, तारे, ग्रह और अंतरिक्ष की गहराइयों को समझने के लिए प्रोफेशनल कोर्स शुरू किया जा रहा है. 

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यूनिवर्सिटी में अगले महीने से एस्ट्रोनॉमी में पोस्ट ग्रेजुएशन (PG), पीएचडी और स्पेस इंजीनियरिंग में एमटेक कोर्स की शुरुआत होगी. इन कोर्सेज के जरिए छात्र भविष्य में ISRO और NASA जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में अपना करियर बना सकेंगे.

कोर्स शुरू करने पर आएगा 20 करोड़ का खर्च

इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर कुल 20 करोड़ रुपये की लागत आएगी. इसमें अत्याधुनिक लैब, इक्विपमेंट और टेलीस्कोप्स की खरीद शामिल है. यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार रामजी सिंह ने मीडिया को जानकारी दी कि यह कदम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इच्छा के अनुरूप उठाया गया है. यूनिवर्सिटी का नाम महान गणितज्ञ और खगोलशास्त्री आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने चौथी शताब्दी में एस्ट्रोनॉमी पर अहम कार्य किए थे.

प्रवेश के लिए तैयार डीपीआर

एस्ट्रोनॉमी कोर्स की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) सरकार को भेजी जा चुकी है और इसके लिए विशेषज्ञ कंसल्टेंट भी नियुक्त किए गए हैं. कोर्स में प्रवेश उन्हीं छात्रों को मिलेगा, जिनकी रुचि एस्ट्रोनॉमी और अंतरिक्ष विज्ञान में है.

सीटें सीमित, लेकिन डिमांड बढ़ती हुई

कोर्स के कंसल्टेंट प्रो. राजमणि प्रसाद सिन्हा के अनुसार, हर साल एस्ट्रोनॉमी कोर्स की मांग में 7% की बढ़ोतरी हो रही है. शुरुआत में केवल 10 सीटें रहेंगी, लेकिन भविष्य में सीटें बढ़ाई जाएंगी. कोर्स चार सेमेस्टर में बंटा होगा और प्रत्येक सेमेस्टर की फीस ₹12,000 होगी. पढ़ाई के लिए देशभर से 13 प्रोफेसरों की टीम तैयार की गई है, जिसमें बैंगलोर से भी विशेषज्ञ शामिल होंगे.

खास टेलीस्कोप्स की व्यवस्था

खगोलशास्त्र की पढ़ाई को व्यवहारिक रूप देने के लिए यूनिवर्सिटी में 7 प्रकार के टेलीस्कोप मंगवाए जाएंगे. इनमें 4 इंच रिफ्रैक्टिव टेलीस्कोप, 12 इंच कैटाडियोप्ट्रिक टेलीस्कोप, सोलर टेलीस्कोप, IR टेलीस्कोप, चार्ज कपल्ड डिवाइस, एस्ट्रोनॉमिकल फोटोमीटर और सिंपल रेडियो टेलीस्कोप शामिल हैं.

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