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बिहार में फंसा NDA का राजनीतिक पेंच! चिराग पासवान की नाराजगी पर गरमाई सियासत

बिहार में चुनावी सरगर्मी तेज है तो वहीं अगर लोकसभा की बात करें तो यहां 40 सीटें हैं और इनमें से एक सीट हाजीपुर है, जहां से दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान सांसद रह चुके हैं. हाजीपुर सीट रामविलास का गढ़ मानी जाती है.

Updated on: 06 Mar 2024, 06:54 PM

highlights

  • बिहार में फंसा NDA का राजनीतिक पेंच
  • चिराग पासवान की नाराजगी पर गरमाई सियासत
  • राजनीतिक गलियारों में चिराग की नाराजगी की खबर

Patna:

Bihar Politics News: बिहार में चुनावी सरगर्मी तेज है तो वहीं अगर लोकसभा की बात करें तो यहां 40 सीटें हैं और इनमें से एक सीट हाजीपुर है, जहां से दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान सांसद रह चुके हैं. हाजीपुर सीट रामविलास का गढ़ मानी जाती है. बता दें कि इस बार हाजीपुर सीट को लेकर न सिर्फ पासवान परिवार में बल्कि एनडीए गठबंधन में भी विवाद है. रामविलास पासवान के भाई पशुपति पारस यहां से सांसद हैं और वह बार-बार कह रहे हैं कि वह इस सीट से चुनाव लड़ेंगे. वहीं दूसरी ओर रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान भी यहां से चुनाव लड़ रहे हैं. अब हाजीपुर सीट पर घमासान इतना बढ़ गया है कि चिराग के एनडीए से नाराज होने की खबरें आ रही हैं. इस बीच, राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी चिराग को इंडिया गठबंधन में शामिल होने का ऑफर दिया है. 

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राजनीतिक गलियारों में चिराग की नाराजगी की खबर

आपको बता दें कि हाल ही में जब पीएम मोदी बिहार दौरे पर आए थे और रैली की थी तो उस रैली में चिराग पासवान कही नजर नहीं आए थे. सूत्रों की मानें तो हाजीपुर सीट को लेकर उन्हें भरोसा नहीं हो रहा है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, पार्टी से सीट का आश्वासन नहीं मिलने से वह नाराज हैं. पिछले कई दिनों से चिराग सामने भी नहीं आ रहे हैं. बिहार में पासवान जाति के वोटरों की बात करें तो उनकी संख्या करीब 6 फीसदी है. बिहार के हर जिले में पासवान जाति के वोटर मौजूद हैं. इस वोट पर रामविलास पासवान की मजबूत पकड़ थी, ऐसा दावा रामविलास पासवान के निधन के बाद चिराग कर रहे हैं.

ये है 2019 में एनडीए का सीट फॉर्मूला

आपको बता दें कि 2019 में एनडीए के तहत बीजेपी ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था और इतनी ही सीटें जेडीयू को दी गई थीं जबकि बाकी छह पर लोक जनशक्ति पार्टी ने चुनाव लड़ा था. वहीं बीजेपी ने 17 और जेडीयू ने 16 सीटों पर चुनाव जीता था जबकि एलजेपी सभी छह सीटें जीतने में सफल रही थी.