Bihar Election: सिवान में ओवैसी या तेजस्वी, मुस्लिम वोटर्स का किसे मिलेगा साथ?

Bihar Elections 2025: आंकड़े बताते हैं कि बिहार की करीब 17.7% आबादी मुस्लिमों की है, जबकि यादव मतदाता लगभग 14.3% हैं. राज्य की 47 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम वोट निर्णायक भूमिका निभाते हैं.

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Yashodhan Sharma
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Bihar Elections 2025: आंकड़े बताते हैं कि बिहार की करीब 17.7% आबादी मुस्लिमों की है, जबकि यादव मतदाता लगभग 14.3% हैं. राज्य की 47 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम वोट निर्णायक भूमिका निभाते हैं.

Bihar Elections 2025: बिहार की राजनीति में एक बार फिर मुस्लिम-यादव यानी एम-वाई समीकरण सुर्खियों में है. यही वो फॉर्मूला है, जिसके सहारे लालू प्रसाद यादव ने सालों तक राज्य की सत्ता पर कब्जा जमाए रखा था. आंकड़े बताते हैं कि बिहार की करीब 17.7% आबादी मुस्लिमों की है, जबकि यादव मतदाता लगभग 14.3% हैं. राज्य की 47 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम वोट निर्णायक भूमिका निभाते हैं, जिनमें से 11 सीटों पर मुस्लिम आबादी 40% से अधिक है.

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आरजेडी की ताकत माने जाने वाले इस एम-वाई समीकरण की काट मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ी चालाकी से निकाली थी. उन्होंने बीजेपी के साथ गठबंधन कर ईबीसी-महादलित कार्ड खेला और महिलाओं को भी अपने पक्ष में लामबंद किया. यही रणनीति नीतीश को बार-बार सत्ता तक ले गई.

सियासत में ध्रुवीकरण की बिसात बिछनी शुरू

अब जब चुनावी माहौल गरमा रहा है, तो सियासत में फिर ध्रुवीकरण की बिसात बिछनी शुरू हो गई है. तेजस्वी यादव ने हाल ही में वक्फ कानून पर बयान देकर सीमांचल के मुस्लिम वोट बैंक को साधने की कोशिश की. लेकिन बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा कि वक्फ कानून राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता.

बीजेपी नेताओं ने आरजेडी पर मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप लगाया और कहा कि आरजेडी मुस्लिमों को सिर्फ वोट बैंक की तरह देखती है. गिरिराज सिंह जैसे बीजेपी के फायरब्रांड नेता लगातार तेजस्वी पर निशाना साध रहे हैं. वहीं बीजेपी का दावा है कि बिहार की जनता अब ‘जंगल राज’ की वापसी नहीं चाहती, बल्कि सुशासन को वोट देगी.

चिराग पासवान ने भी बोला हमला

उधर, एनडीए के सहयोगी चिराग पासवान ने भी आरजेडी पर हमला बोला. उन्होंने पूछा कि अगर आरजेडी सच में मुसलमानों की हितैषी थी, तो 2005 में जब उनके पिता रामविलास पासवान ने मुस्लिम मुख्यमंत्री बनाने की मांग की थी, तब राजद ने उस मांग को क्यों नहीं माना?

राज्य में अब चुनावी बहस विकास और रोजगार से हटकर धार्मिक ध्रुवीकरण की ओर बढ़ती दिख रही है. वक्फ, बुर्का और मुस्लिम डिप्टी सीएम जैसे मुद्दे सियासी विमर्श पर हावी हैं. साथ ही, एनडीए फिर से ‘जंगल राज’ और ‘परिवारवाद’ के पुराने मुद्दे उछालकर तेजस्वी यादव के एम-वाई समीकरण को कमजोर करने की कोशिश में जुटा है.

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