Bihar Elections 2025: बिहार में एम-वाई समीकरण पर सियासत तेज, ध्रुवीकरण से किसे होगा फायदा

Bihar Elections 2025: मुसलमानों की आबादी करीब 17.7 प्रतिशत है. राज्य की 47 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं, जिनमें से 11 सीटों पर मुस्लिम आबादी 40% से अधिक है.

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Yashodhan.Sharma
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Bihar Elections 2025: मुसलमानों की आबादी करीब 17.7 प्रतिशत है. राज्य की 47 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं, जिनमें से 11 सीटों पर मुस्लिम आबादी 40% से अधिक है.

बिहार की सियासत में एक बार फिर वही पुराना एम-वाई समीकरण (मुस्लिम-यादव गठजोड़) चर्चा में है, जिसके सहारे लालू प्रसाद यादव ने राज्य की सत्ता पर वर्षों तक राज किया था. 90 के दशक में यह समीकरण जीत की गारंटी माना जाता था. अब जब बिहार में चुनावी माहौल गर्म है, तो राजनीतिक दल इसी समीकरण को साधने और तोड़ने में जुट गए हैं.

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बिहार में मुसलमानों की आबादी करीब 17.7 प्रतिशत है. राज्य की 47 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं, जिनमें से 11 सीटों पर मुस्लिम आबादी 40% से अधिक है. वहीं, यादव मतदाता लगभग 14.3 प्रतिशत हैं. यही आधार आरजेडी की सबसे बड़ी ताकत रहा है. हालांकि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस समीकरण को कमजोर करने के लिए पहले बीजेपी के साथ मिलकर ईबीसी (अति पिछड़ा) और महादलित कार्ड खेला, साथ ही महिलाओं को भी राजनीति में सशक्त कर अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत की. अब एक बार फिर बिहार का चुनाव जातीय और धार्मिक समीकरणों की बिसात पर खेला जा रहा है.

तेजस्वी यादव ने हाल ही में वक्फ कानून पर बयान देकर सीमांचल के मुस्लिम वोट बैंक को साधने की कोशिश की है. वहीं बीजेपी ने इसे छलावा बताया है. पार्टी का कहना है कि वक्फ कानून हटाना किसी राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता.

बीजेपी के नेताओं का आरोप है कि आरजेडी मुसलमानों को सिर्फ वोट बैंक की तरह देखती है. बीजेपी नेता लगातार आरजेडी पर “मुस्लिम तुष्टीकरण” की राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह जनता को लालू यादव के “जंगलराज” की याद दिला रहे हैं.

चिराग पासवान ने उठाया सवाल

वहीं, एलजेपी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान ने सवाल उठाया कि अगर आरजेडी सच में मुस्लिम हितैषी थी, तो 2005 में उनके पिता की मांग के बावजूद किसी मुसलमान को मुख्यमंत्री क्यों नहीं बनाया गया? बीजेपी के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह ने भी ध्रुवीकरण की राजनीति को हवा देते हुए कहा कि आरजेडी और महागठबंधन “बुर्का और तुष्टीकरण” की राजनीति कर रहे हैं.

अब सवाल उठ रहा है कि क्या बिहार का चुनाव फिर से धार्मिक ध्रुवीकरण की ओर बढ़ रहा है? जहां शुरुआत विकास और रोजगार के वादों से हुई थी, वहीं अब प्रचार में बुर्का, वक्फ कानून और मुस्लिम डिप्टी सीएम जैसे मुद्दे हावी होते दिख रहे हैं. एनडीए इन मुद्दों के साथ “जंगलराज” और “परिवारवाद” का कार्ड खेलकर तेजस्वी यादव के एम-वाई समीकरण की काट खोजने में जुटा है.

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