Bihar Elections: बीजेपी का बड़ा फैसला, चुनाव से पहले ही इन चार नेताओं को पार्टी से निकाला

Bihar Elections: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का माहौल अपने चरम पर है. राजनीतिक दलों ने भी अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं. जनता से जुड़ने के साथ-साथ वादों और दावों की भी झड़ियां लग रही हैं.

Bihar Elections: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का माहौल अपने चरम पर है. राजनीतिक दलों ने भी अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं. जनता से जुड़ने के साथ-साथ वादों और दावों की भी झड़ियां लग रही हैं.

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Dheeraj Sharma
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BJP Expail four leader in bihar

Bihar Elections: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का माहौल अपने चरम पर है. राजनीतिक दलों ने भी अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं. जनता से जुड़ने के साथ-साथ वादों और दावों की भी झड़ियां लग रही हैं. लेकिन इस बीच पार्टी विरोधी गतिविधियों पर कड़ाई से नजर रखी जा रही है. इसी कड़ी में भारतीय जनता पार्टी ने पार्टी अनुशासन तोड़ने वाले नेताओं पर सख्त रुख अपनाया है.  बीजेपी ने चार नेताओं को दल-विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. इन नेताओं को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है.  इस कार्रवाई से पार्टी ने यह संदेश दिया है कि संगठनात्मक अनुशासन से ऊपर कोई नहीं है. 

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चार नेताओं पर गिरी गाज

बीजेपी बिहार प्रदेश मुख्यालय प्रभारी अरविंद शर्मा ने एक आधिकारिक पत्र जारी कर कार्रवाई की घोषणा की. इसमें उन्होंने लिखा कि जिन नेताओं को निष्कासित किया गया है, उनमें...

- पवन यादव (कहलगांव सीट)

- वरुण सिंह (बहादुरगंज सीट)

- अनूप कुमार श्रीवास्तव (गोपालगंज सीट)

- सूर्य भान सिंह (बड़हरा सीट) शामिल हैं. 

इन सभी नेताओं ने पार्टी की आधिकारिक नीति के विपरीत जाकर एनडीए के उम्मीदवारों के खिलाफ मैदान में उतरने का फैसला लिया था. पार्टी का मानना है कि ऐसी हरकतें संगठन की एकता और छवि को नुकसान पहुंचाती हैं. 

अरविंद शर्मा का सख्त संदेश

पत्र जारी करते हुए अरविंद शर्मा ने कहा कि बीजेपी एक अनुशासित संगठन है, जहां संगठन और विचारधारा को व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं से ऊपर रखा जाता है. उन्होंने साफ चेतावनी दी कि पार्टी में किसी भी स्तर की विद्रोही या अनुशासनहीन गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.  यही नहीं उन्होंने कहा कि ऐसे कदमों से जनता के बीच भ्रम की स्थिति पैदा होती है और एनडीए की सामूहिक रणनीति पर नकारात्मक असर पड़ता है. इसलिए, पार्टी ने सख्त कदम उठाते हुए यह कार्रवाई की है. 

टिकट बंटवारे से बढ़ा असंतोष

बता दें कि बिहार चुनाव में इस बार टिकट वितरण को लेकर लगभग सभी दलों के भीतर असंतोष की लहर है. कई दावेदारों को टिकट न मिलने के बाद उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है.  ये सिलसिला कांग्रेस से लेकर प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी और बीजेपी में भी देखने को मिला है. 

बीजेपी में भी कुछ नेताओं ने इसी रास्ते को चुना, जिसके बाद पार्टी नेतृत्व ने तुरंत सख्त कदम उठाया.  यह फैसला न केवल संगठन में अनुशासन बहाल करने के लिए है बल्कि असंतुष्ट नेताओं को यह संदेश देने के लिए भी कि पार्टी लाइन से हटना महंगा साबित हो सकता है. 

केवल एनडीए के प्रत्याशी होंगे पार्टी का चेहरा

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस कार्रवाई से बीजेपी ने अन्य असंतुष्ट नेताओं को चेतावनी दे दी है. अब बिहार बीजेपी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि चुनाव में केवल एनडीए के आधिकारिक प्रत्याशी ही पार्टी का चेहरा होंगे, कोई भी बागी उम्मीदवार पार्टी का प्रतिनिधि नहीं माना जाएगा.

बीजेपी की यह कार्रवाई चुनावी माहौल में एक अनुशासन और एकता का संदेश है. पार्टी ने यह दिखा दिया है कि व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के लिए संगठन के हितों से समझौता नहीं किया जाएगा.  बिहार चुनाव 2025 के इस राजनीतिक संग्राम में बीजेपी का यह रुख न केवल उसके भीतर अनुशासन बनाए रखेगा, बल्कि विरोधियों के लिए भी यह संकेत है कि पार्टी अपने ढांचे को कमजोर नहीं पड़ने देगी. 

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