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Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव का माहौल गरमा चुका है. अब पहले चरण के मतदान में के लिए भी ज्यादा वक्त नहीं बचा है. सियासी दलों के बीच सीटों की जंग के साथ-साथ इस बार महिलाओं की भागीदारी भी चर्चा का विषय बनी हुई है. जहां एक ओर महागठबंधन अपनी पारंपरिक रणनीति पर कायम दिख रहा है, वहीं एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है. आइए जानते हैं कि आखिर इस चुनाव में आधी आबादी कही जाने वाली महिला उम्मीदवारों पर दोनों में संगठनों में से किसने ज्यादा भरोसा जताया है.
एनडीए ने महिलाओं पर जताया भरोसा
एनडीए ने इस बार कुल 34 महिला उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है. गठबंधन में शामिल बीजेपी और जेडीयू, दोनों ही 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं और दोनों ने समान रूप से 13-13 महिलाओं को टिकट दिया है. वहीं लोजपा (रामविलास), जो 29 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, ने 5 महिला उम्मीदवारों को मौका दिया है.
इसी तरह हम (हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा) के खाते में 6 सीटें हैं, जिनमें से 2 सीटों पर महिलाएं मैदान में हैं. खास बात यह है कि दोनों उम्मीदवार पार्टी संरक्षक जीतन राम मांझी के परिवार से हैं. इसके अलावा राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के नेता उपेंद्र कुशवाहा ने 6 सीटों में से एक सीट पर अपनी पत्नी को टिकट दिया है. इस तरह एनडीए ने यह साफ संदेश दिया है कि वह महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी को मजबूती देना चाहता है.
महागठबंधन में महिलाओं की सीमित भागीदारी
वहीं महागठबंधन, जो कुल 254 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है ने 31 महिलाओं को टिकट दिया है. इसमें प्रमुख घटक राजद (RJD) ने सबसे ज्यादा 24 महिला उम्मीदवारों को उतारा था, लेकिन मोहनियां सीट से श्वेता सुमन का नामांकन रद्द होने के बाद अब यह संख्या 23 रह गई है.
वहीं कांग्रेस की बात करें तो 61 सीटों पर चुनावी मैदान में है. पार्टी कुल 5 महिलाओं को इस बार मौका दिया है. जबकि सीपीआई (एमएल) ने अपनी 20 सीटों में से 1 महिला उम्मीदवार को टिकट दिया है. वहीं वीआईपी और आईआईपी ने भी एक-एक महिला उम्मीदवार पर भरोसा जताया है, जबकि भाकपा और माकपा ने किसी महिला को टिकट नहीं दिया.
महिलाओं की सियासी मौजूदगी का बढ़ता महत्व
बिहार में महिलाओं की राजनीतिक भूमिका लगातार बढ़ रही है. पंचायत चुनावों से लेकर विधानसभा तक, महिलाएं अब सिर्फ प्रतीक नहीं रहीं बल्कि निर्णयकारी भूमिका में दिख रही हैं. इस बार के चुनाव में एनडीए और महागठबंधन दोनों के लिए यह तय करना अहम होगा कि महिला उम्मीदवारों की ताकत मतदाताओं को कितना प्रभावित कर पाती है.
बता दें कि बिहार चुनाव 2025 में महिला उम्मीदवारों की मौजूदगी ने मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है. जहां एनडीए ने अधिक महिलाओं पर दांव खेलकर एक नई राजनीतिक रणनीति अपनाई है, वहीं महागठबंधन को भी महिला मतदाताओं की संवेदना से जुड़ने के लिए नए सिरे से सोचने की जरूरत होगी.
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