Bihar Elections 2025: इन वोटों की 14 नवंबर को नहीं होगी गिनती? ये है कारण

Bihar Elections 2025: कई बार मतदान केंद्र पर ऐसा होता है कि असली मतदाता जब वोट डालने पहुंचता है तो उसे पता चलता है कि उसकी जगह कोई और पहले ही वोट डाल चुका है.

Bihar Elections 2025: कई बार मतदान केंद्र पर ऐसा होता है कि असली मतदाता जब वोट डालने पहुंचता है तो उसे पता चलता है कि उसकी जगह कोई और पहले ही वोट डाल चुका है.

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Yashodhan.Sharma
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Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों का इंतजार अब बस कुछ ही घंटों का रह गया है. सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि इस बार सत्ता किसके हाथ में जाएगी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ ऐसे वोट भी होते हैं जिनकी गिनती चुनाव आयोग नहीं करता? इन्हें टेंडर वोट कहा जाता है. आइए जानते हैं कि ये वोट क्या होते हैं और इनकी गिनती क्यों नहीं होती.

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दरअसल, कई बार मतदान केंद्र पर ऐसा होता है कि असली मतदाता जब वोट डालने पहुंचता है तो उसे पता चलता है कि उसकी जगह कोई और पहले ही वोट डाल चुका है. ऐसी स्थिति में मतदाता को मतदान से वंचित नहीं किया जाता, बल्कि उसे एक विशेष बैलेट पेपर पर वोट डालने का अधिकार दिया जाता है. यही वोट टेंडर वोट कहलाता है. यह वोट बाकियों से अलग रखा जाता है और इसे सीलबंद लिफाफे में सुरक्षित किया जाता है.

क्या होता है टेंडर वोट

चुनाव संचालन नियम, 1961 की धारा 49P में इसका स्पष्ट उल्लेख है. इस धारा के अनुसार, अगर किसी मतदाता को लगे कि उसके नाम से किसी और ने वोट डाल दिया है, तो वह प्रिसाइडिंग ऑफिसर को सूचित कर सकता है. पहचान प्रमाणित होने के बाद उसे टेंडर वोट डालने दिया जाता है. हालांकि, इस वोट की गिनती सामान्य मतगणना में नहीं होती. इसे केवल अदालत के आदेश पर ही खोला जा सकता है.

कुछ मामलों में टेंडर वोटों की गिनती भी हुई

इतिहास में कुछ मामलों में कोर्ट के आदेश पर टेंडर वोटों की गिनती भी कराई गई है. उदाहरण के तौर पर, राजस्थान विधानसभा चुनाव 2008 में कांग्रेस नेता सी.पी. जोशी और भाजपा के कल्याण सिंह चौहान के बीच केवल एक वोट का अंतर रह गया था. तब अदालत के निर्देश पर टेंडर वोटों की गिनती हुई थी. अन्यथा ये वोट सीलबंद ही रहते.

क्या है अफवाह

चुनाव संचालन नियम, 1961 की धारा 56 के तहत यह साफ लिखा है कि टेंडर वोट सामान्य काउंटिंग में शामिल नहीं किए जाते. वहीं, यह अफवाह भी गलत है कि अगर किसी क्षेत्र में 14 फीसदी से अधिक टेंडर वोट पड़ें तो वहां दोबारा मतदान कराया जाता है. चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि इसके लिए कोई वैधानिक प्रावधान नहीं है.

यानी टेंडर वोट केवल सुरक्षा के तौर पर रखे जाते हैं ताकि असली मतदाता का अधिकार बना रहे, लेकिन उनकी गिनती सिर्फ विशेष परिस्थितियों या अदालत के आदेश पर ही होती है.

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