Bihar Elections 2025: वोटिंग के ठीक एक दिन पहले जन सुराज को झटका, इस उम्मीदवार ने थामा BJP का दामन

Bihar Elections 2025: बिहार में 6 नवंबर 2025 को मतदान होने हैं, इससे पहले ही 5 नवंबर को प्रशांत किशोर वाली जन सुराज पार्टी को झटका लगा है. इनके दल के एक प्रत्याशी ने भाजपा का दामन थाम लिया है.

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Yashodhan.Sharma
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Bihar Elections 2025: बिहार में 6 नवंबर 2025 को मतदान होने हैं, इससे पहले ही 5 नवंबर को प्रशांत किशोर वाली जन सुराज पार्टी को झटका लगा है. इनके दल के एक प्रत्याशी ने भाजपा का दामन थाम लिया है.

Bihar Elections 2025: बिहार की राजनीति में इस समय बड़ा बदलाव देखने को मिला है. मुंगेर जिले में जन स्वराज पार्टी को उस समय बड़ा झटका लगा जब मतदान से ठीक एक दिन पहले उसके प्रत्याशी संजय सिंह ने पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का दामन थाम लिया. संजय सिंह ने मुंगेर से बीजेपी प्रत्याशी कुमार प्रणय का समर्थन करते हुए एनडीए में शामिल होने की घोषणा की. यह कदम प्रशांत किशोर और उनकी पार्टी जन स्वराज के लिए एक अप्रत्याशित और गंभीर झटका माना जा रहा है, क्योंकि चुनाव से ठीक पहले उम्मीदवार का दल बदलना पार्टी की साख और रणनीति दोनों पर असर डालता है.

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इसलिए थामा बीजेपी का दामन

संजय सिंह ने बीजेपी में शामिल होते हुए कहा कि उन्होंने एनडीए की नीतियों और विकास कार्यों से प्रभावित होकर यह निर्णय लिया है. वहीं, बीजेपी प्रत्याशी कुमार प्रणय ने उनका स्वागत करते हुए कहा कि यह उनके लिए गर्व की बात है कि समाज में सक्रिय और जनहित में काम करने वाले व्यक्ति ने उनका समर्थन किया है. कुमार प्रणय ने कहा कि संजय सिंह जैसे नेता का साथ मिलने से चुनाव में निश्चित रूप से बड़ा लाभ मिलेगा, क्योंकि वे लंबे समय से समाज के बीच काम करते रहे हैं और लोगों में उनकी पकड़ मजबूत है.

राजनीतिक गलियारों में हलचल

इस घटनाक्रम के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है. जन स्वराज पार्टी, जो प्रशांत किशोर के नेतृत्व में बिहार की राजनीति में नई उम्मीद के साथ उतरी थी, अब अपने ही प्रत्याशी के पार्टी छोड़ने से मुश्किल स्थिति में आ गई है. मतदान से ठीक पहले इस तरह का बदलाव पार्टी की तैयारी और जनसमर्थन दोनों को प्रभावित कर सकता है.

हालांकि, चुनावों में इस तरह की दलबदल की घटनाएं आम होती हैं, लेकिन समय की दृष्टि से यह बदलाव काफी अहम माना जा रहा है. जब मतदान में केवल एक दिन शेष हो, तब किसी प्रत्याशी का पार्टी बदलना मतदाताओं के मनोबल और विश्वास पर असर डाल सकता है. फिलहाल, जन स्वराज पार्टी के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण है, जबकि बीजेपी इस कदम को अपने पक्ष में एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देख रही है.

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