Mallah Voters on Mukesh Sahani: मुस्लिम और यादव मतदाता महागठबंधन की ओर झुकाव रखते हैं. निषाद समाज में भी मतों का विभाजन दिख रहा है. कुछ बीजेपी के साथ हैं तो कुछ महागठबंधन की वीआईपी पार्टी से नाराज हैं.
Bihar Elections 2025: मोतिहारी विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास बेहद रोचक रहा है. आज़ादी के बाद शुरुआती दशकों में यह सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी. 1952 से 1980 तक हुए आठ चुनावों में कांग्रेस ने सात बार जीत हासिल की, जबकि 1969 में जनसंघ को सफलता मिली थी. 1980 के दशक में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) का दबदबा रहा, जब त्रिवेणी तिवारी ने 1985 से 1995 तक लगातार तीन बार जीत दर्ज की. 2000 में यह सीट आरजेडी के खाते में गई, लेकिन 2005 से बीजेपी ने यहां अपनी मजबूत पकड़ बना ली. मौजूदा विधायक प्रमोद कुमार 2005 से लगातार चार बार जीतकर रिकॉर्ड बना चुके हैं.
मोतिहारी में होने वाला है दिलचस्प मुकाबला
इस बार मोतिहारी में मुकाबला काफी दिलचस्प माना जा रहा है. एक ओर बीजेपी और आरजेडी आमने-सामने हैं, वहीं प्रशांत किशोर की पार्टी जन स्वराज ने डॉक्टर अतुल कुमार को मैदान में उतारकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है. डॉक्टर अतुल पहले बीजेपी से जुड़े रहे हैं, लेकिन पार्टी के भीतर लोकतंत्र खत्म होने और स्थानीय नेताओं की मनमानी से निराश होकर उन्होंने जन स्वराज का दामन थाम लिया.
जातीय समीकरण की अहम भूमिका
चुनाव में जातीय समीकरण भी अहम भूमिका निभा रहे हैं. मोतिहारी में वैश्य, कायस्थ, भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण और निषाद समाज की अच्छी खासी आबादी है. परंपरागत रूप से वैश्य और कायस्थ वर्ग बीजेपी के समर्थक रहे हैं, लेकिन इस बार इनके वोटों में बिखराव की संभावना जताई जा रही है. मुस्लिम और यादव मतदाता महागठबंधन की ओर झुकाव रखते हैं. निषाद समाज में भी मतों का विभाजन दिख रहा है. कुछ बीजेपी के साथ हैं तो कुछ महागठबंधन की वीआईपी पार्टी से नाराज हैं.
आरजेडी उम्मीदवार पर 28 आपराधिक मामले दर्ज
आरजेडी उम्मीदवार देवा गुप्ता पर 28 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिससे जनता में मिलीजुली प्रतिक्रिया है. वहीं बीजेपी विधायक प्रमोद कुमार अपनी उपलब्धियों और मोदी-नीतीश की जोड़ी पर भरोसा जताते हैं. उनके अनुसार, 'लड़ाई एकतरफा है और कमल फिर खिलेगा.'
चुनाव के मुख्य मुद्दों में बाढ़ नियंत्रण, गंडक नदी का कटाव, बेरोजगारी, प्रवासन और कृषि संकट प्रमुख हैं.
विकास के कई वादों के बावजूद स्थानीय जनता अभी भी कई अधूरे कामों से नाराज है. दूसरी ओर, बीजेपी को केंद्रीय मंत्री राधा मोहन सिंह की सक्रियता का लाभ मिल सकता है. आखिरकार, 14 नवंबर को यह तय होगा कि मोतिहारी की जनता बदलाव चाहती है या एक बार फिर कमल खिलाने का मन बना चुकी है.
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