Bihar Election First Phase Voting: बंपर वोटिंग के चलते क्या नीतीश कुमार गंवा बैठेंगे सत्ता

Bihar Election First Phase Voting: महिला मतदाताओं की भूमिका भी लगातार मजबूत हो रही है.  यह प्रवृत्ति 2005 के बाद से नीतीश कुमार की नीतियों के कारण और बढ़ी है. युवाओं और महिलाओं का यह समूह अब बिहार की राजनीति में निर्णायक शक्ति बनता जा रहा है.

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Yashodhan.Sharma
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Bihar Election First Phase Voting: महिला मतदाताओं की भूमिका भी लगातार मजबूत हो रही है.  यह प्रवृत्ति 2005 के बाद से नीतीश कुमार की नीतियों के कारण और बढ़ी है. युवाओं और महिलाओं का यह समूह अब बिहार की राजनीति में निर्णायक शक्ति बनता जा रहा है.

Bihar Election First Phase Voting: बिहार में इस बार हुई बंपर वोटिंग ने राजनीतिक हलकों में कई सवाल खड़े कर दिए हैं. पहली नजर में 60% से अधिक मतदान को लोग बदलाव की इच्छा के रूप में देख रहे हैं, लेकिन इसका अर्थ केवल सरकार विरोधी लहर (एंटी इनकंबेंसी) नहीं माना जा सकता. पहले के चुनावों में 1967, 1980 और 1990 में वोटिंग प्रतिशत बढ़ा और सत्ता परिवर्तन हुआ. परंतु हाल के वर्षों में यह धारणा काफी हद तक बदल चुकी है. अब अधिक मतदान का मतलब यह भी हो सकता है कि जनता सरकार के पक्ष में वोट डाल रही हो यानी 'प्रो इनकंबेंसी' ट्रेंड.

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ये है कारण

बिहार में इस बार का बढ़ा हुआ मतदान कई तकनीकी और सामाजिक कारणों से जुड़ा है. वरिष्ठ पत्रकार विकास चंद्रा के अनुसार, मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर सुधार किया गया. एसआईआर (Special Summary Revision) के दौरान लगभग 65 लाख फर्जी या दोहराए गए नाम हटा दिए गए और करीब 14 लाख नए मतदाता जोड़े गए. इसके चलते मतदाताओं की कुल संख्या घटी, जिससे प्रतिशत के हिसाब से मतदान बढ़ा हुआ दिख रहा है. यानी वास्तविक वोटों की संख्या में बहुत बड़ा उछाल नहीं है, बल्कि वोट डालने वालों का अनुपात ज्यादा दिखा है.

युवाओं में दिखा खासा उत्साह

विकास चंद्रा ने यह भी बताया कि इस बार लगभग 38 लाख नए मतदाता पहली बार वोट डालने पहुंचे. यह युवा वर्ग काफी उत्साहित दिखाई दिया. इसके अलावा महिला मतदाताओं की भूमिका भी लगातार मजबूत हो रही है.  यह प्रवृत्ति 2005 के बाद से नीतीश कुमार की नीतियों के कारण और बढ़ी है. युवाओं और महिलाओं का यह समूह अब बिहार की राजनीति में निर्णायक शक्ति बनता जा रहा है.

चुनाव बना त्रिकोणीय

राजनीतिक रूप से देखा जाए तो जन स्वराज जैसी नई ताकतों की एंट्री और एसआईआर के प्रभाव ने चुनाव को त्रिकोणीय बना दिया है. हालांकि बढ़े हुए मतदान का अर्थ सीधा सत्ता परिवर्तन नहीं निकाला जा सकता, पर यह स्पष्ट है कि जनता में राजनीतिक जागरूकता बढ़ी है और मतदाता अब ज्यादा सोच-समझकर मतदान कर रहे हैं.

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