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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 Photograph: (NN)
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण ने इतिहास रच दिया है. राज्य में इस बार 64.66% वोटिंग दर्ज की गई यानी अब तक का सबसे ज्यादा मतदान. न 2014 की “मोदी लहर” में ऐसा हुआ था, न 1998 के रिकॉर्ड वोटिंग वाले दौर में. इस बार हर वर्ग, हर उम्र और हर इलाके से मतदाताओं का उत्साह देखते ही बन रहा था.
क्या ये परिवर्तन की निशानी है?
लेकिन सवाल है आखिर क्या बदला इस बार? क्या वजह रही कि बिहार के मतदाता इस बार पहले से कहीं ज्यादा तादाद में वोट डालने निकले? चुनाव आयोग ने इसके पीछे दस अहम कारण गिनाए हैं, जो बताते हैं कि बिहार का लोकतंत्र अब पहले से ज्यादा जागरूक और संगठित हो गया है.
इतिहास रच गया पहला चरण
इस बार 64.66% मतदान दर्ज हुआ, जो 1951 से अब तक का सर्वाधिक है. यह 2000 के विधानसभा (62.57%) और 1998 के लोकसभा चुनाव (64.6%) दोनों को पीछे छोड़ गया.
महिलाओं ने दिखाया सबसे बड़ा दमखम
मुख्य निर्वाचन अधिकारी विनोद गुनज्याल के मुताबिक, महिलाओं ने मतदान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. कई जगहों पर महिलाओं की कतारें पुरुषों से लंबी दिखीं. करीब 90 हजार जीविका दीदियों को इस बार तैनात किया गया. इन महिलाओं ने पर्दानशीन वोटर्स को बूथ तक पहुंचाया और मतदान के प्रति जागरूकता फैलाने में बड़ी भूमिका निभाई. इसके अलावा, बिहार की राजनीति पर करीबी नजर रखने वाले राजनीतिक पंडितों का मानना ​​है कि महिलाओं को 10,000 रुपये देने और पेंशन को बढ़ाकर 1,100 रुपये करने का नीतीश कुमार का फैसला एक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है.
मोबाइल डिपॉजिट सुविधा बनी गेमचेंजर
पहले मोबाइल ले जाने पर रोक थी, लेकिन इस बार वोटिंग सेंटर पर “मोबाइल जमा काउंटर” बनाया गया. इससे वे लोग भी वोट डाल पाए जो फोन घर छोड़ने के चक्कर में लौटते नहीं थे.
छोटे बूथ और आसान पहचान
प्रत्येक बूथ पर औसतन 1200 वोटर्स की सीमा रखी गई और नई वोटर इंफॉर्मेशन स्लिप से पहचान की प्रक्रिया बेहद सरल हुई. नतीजा लंबी लाइनों में कमी और लोगों की भागीदारी में बढ़ोतरी. व्हीलचेयर, ई-रिक्शा और सहयोग कर्मियों की व्यवस्था की गई. बिहार के चुनावी इतिहास में यह पहली बार हुआ जब हर मतदान केंद्र पर ‘एक्सेसिबिलिटी’ को प्राथमिकता दी गई.
तीन-तरफा मुकाबले ने बढ़ाई रोमांच
इस बार मैदान में सिर्फ एनडीए और महागठबंधन ही नहीं, बल्कि जनसुराज जैसी नई ताकत भी थी. तीनों गठबंधनों की सक्रियता ने वोटरों में जोश बढ़ा दिया. प्रेसाइडिंग ऑफिसर्स ने मतदान समाप्त होते ही ऑनलाइन आंकड़े अपलोड किए, जिससे रात 8:15 तक लगभग सभी बूथों का डेटा चुनाव आयोग को मिल गया. पहली बार सभी मतदान केंद्रों पर वेबकास्टिंग की व्यवस्था रही. मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार खुद कंट्रोल रूम से पूरे राज्य के मतदान पर नजर रखे रहे।
शिकायतें तुरंत निपटाईं गईं
चुनाव आयोग को कुल 143 शिकायतें मिलीं, जिनमें से सभी का समाधान उसी दिन कर दिया गया. इससे लोगों का भरोसा चुनाव प्रक्रिया में और मजबूत हुआ. बिहार में इस बार सिर्फ मतदान नहीं हुआ, बल्कि लोकतंत्र का उत्सव मनाया गया. महिलाएं, युवा, दिव्यांग, सबने अपना अधिकार निभाया और संदेश दिया. “अब बिहार बदला है, अब हर वोट की कीमत समझी जाती है.
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