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सीएम नीतीश कुमार Photograph: (ANI)
बिहार में नई सरकार के गठन की प्रक्रिया अब अंतिम चरण में पहुंच गई है. चुनाव नतीजों के बाद बीजेपी और एनडीए गठबंधन भारी बहुमत के साथ सत्ता संभालने की तैयारी में जुट गए हैं. शनिवार को दिल्ली में राजनीतिक गतिविधियां बेहद तेज रहीं. चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान और सह-प्रभारी विनोद तावड़े ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की, जहां नतीजों की समीक्षा के साथ सरकार गठन की योजना पर विस्तार से चर्चा हुई. सूत्रों का कहना है कि शपथ ग्रहण की स्क्रिप्ट लगभग तैयार मानी जा रही है और 22 नवंबर से पहले नई सरकार शपथ ले सकती है.
जेडीयू क्या कर रही है?
इसी क्रम में जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने भी अमित शाह से मुलाकात की. इसके अलावा जेडीयू के ललन सिंह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी सरकार गठन को लेकर शाह से बातचीत की. यह संकेत साफ है कि शीर्ष स्तर पर गठबंधन की रणनीति पूरी तरह तय हो चुकी है.
मुख्यमंत्री नीतीश देंगे इस्तीफा
सूत्रों का दावा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोमवार को राज्यपाल से मिलकर इस्तीफा सौंपेंगे, जिसके बाद नई सरकार के गठन की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू होगी. शपथ ग्रहण की तारीख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपलब्धता के आधार पर फाइनल की जाएगी. पटना में भी प्रशासनिक हलचल बढ़ गई है और जेडीयू व बीजेपी ने अपने सभी विधायकों को तुरंत राजधानी पहुंचने के निर्देश जारी कर दिए हैं.
नीतीश कुमार ही होंगे मुख्यमंत्री?
अगला पूरा सप्ताह बिहार राजनीति का सबसे व्यस्त दौर रहने वाला है. जेडीयू, बीजेपी, हम और आरएलएम अपने-अपने विधायक दल की बैठकें बुलाएंगे, जहां विधायकों के नेता चुने जाएंगे और बदले हुए राजनीतिक समीकरणों पर चर्चा होगी. इसके बाद मुख्यमंत्री आवास में एनडीए विधायक दल की संयुक्त बैठक होगी, जिसमें नीतीश कुमार को औपचारिक रूप से नेता चुना जाएगा.
इस बार ताल-मेल काफी बेहतर
दिलचस्प बात यह है कि इस बार बीजेपी जेडीयू के बीच तालमेल काफी सहज दिख रहा है, जिसे राजनीतिक पर्यवेक्षक चुनाव से पहले के माइक्रो-मैनेजमेंट और परिणामों के बाद तत्काल हुई हाई-लेवल चर्चाओं का नतीजा मान रहे हैं. सरकार गठन के साथ-साथ मंत्रिमंडल के आकार और विभागों के बंटवारे पर भी चर्चा शुरू हो गई है. धर्मेंद्र प्रधान और तावड़े की अमित शाह से बैठक को इसी रणनीतिक तैयारी का हिस्सा माना जा रहा है.
केंद्रीय नेतृत्व चाहता है कि नई सरकार पहले 100 दिनों में स्पष्ट प्रशासनिक संदेश दे. कानून-व्यवस्था में सुधार, महिलाओं को दी गई योजनाओं का विस्तार और रोजगार मॉडल को प्राथमिकता दी जाए. विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश कुमार की दोबारा ताजपोशी सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि एनडीए के भीतर नए भरोसे और नए राजनीतिक दौर की शुरुआत है.
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