Bihar Election Result 2025: बिहार में आखिर क्यों नहीं चला Tejashwi Yadav का MY Factor

Bihar Election Result 2025: महिलाओं ने नीतीश कुमार की योजनाओं साइकिल योजना, छात्राओं को प्रोत्साहन, शराबबंदी, स्वयं सहायता समूह, आरक्षण व वित्तीय सहायतापर अपना भरोसा दिखाया.

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Yashodhan.Sharma
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Bihar Election Result 2025: महिलाओं ने नीतीश कुमार की योजनाओं साइकिल योजना, छात्राओं को प्रोत्साहन, शराबबंदी, स्वयं सहायता समूह, आरक्षण व वित्तीय सहायतापर अपना भरोसा दिखाया.

Bihar Election Results 2025: बिहार चुनाव के इस विश्लेषण में दो मुख्य बातें उभरकर सामने आती हैं—एक तरफ असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM का प्रदर्शन और दूसरी तरफ एनडीए का नया एमवाई फैक्टर. ओवैसी भले ही कम सीटों पर चुनाव लड़े, लेकिन उन्होंने मुस्लिम बहुल इलाकों में अपनी राजनीतिक पकड़ दिखाई और कई जगह RJD व कांग्रेस दोनों को नुकसान पहुंचाया. जहां कांग्रेस 70 सीटों पर लड़कर मात्र पांच पर सिमट गई, वहीं AIMIM की छोटी उपस्थिति भी चर्चा का विषय बनी.

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MY फैक्टर ने किया बड़ा बदलाव

एडिटर-इन-चीफ मनोज गैरोला के अनुसार, एनडीए की भारी जीत के बीच AIMIM का कुछ सीटें जीतना बताता है कि उनका संदेश मुस्लिम मतदाताओं तक पहुंचा. तेजस्वी यादव की सीट तक प्रभावित होती दिखी. लेकिन पूरे राजनीतिक समीकरण में सबसे बड़ा बदलाव एनडीए के “नई एमवाई” फैक्टर ने किया जो कि महिला (M) और युवा (Y) वोटर हैं.

लालू-तेजस्वी का फॉरमूला फेल

लालू-तेजस्वी का पारंपरिक एमवाई (मुस्लिम-यादव) इस बार उतना प्रभावी नहीं रहा. इसके विपरीत एनडीए की ओर से महिला और युवा वोटरों पर की गई रणनीतिक पकड़ निर्णायक साबित हुई. चुनाव में महिलाओं की सहभागिता रिकॉर्ड 71.6% तक पहुंची, जो पुरुषों से कहीं अधिक थी. महिलाओं ने नीतीश कुमार की योजनाओं साइकिल योजना, छात्राओं को प्रोत्साहन, शराबबंदी, स्वयं सहायता समूह, आरक्षण व वित्तीय सहायतापर अपना भरोसा दिखाया. चुनाव से पहले 1 करोड़ से अधिक महिलाओं को दिए गए ₹10,000 ने भी सीधे प्रभाव डाला.

युवाओं ने भी तेजस्वी के रोजगार वाले वादों पर पूरी तरह भरोसा नहीं किया. डेटा के अनुसार 18–29 वर्ष के लगभग 37% से ज्यादा युवा वोटर एनडीए के पक्ष में खड़े रहे. उनके लिए नीतीश सरकार का विकास, डिजिटलाइजेशन और प्रशासनिक स्थिरता अधिक महत्वपूर्ण लगी.

सीमांचल में भी NDA की रिकॉर्ड बढ़त

सीमांचल जैसे मुस्लिम बहुल क्षेत्र में भी एनडीए ने रिकॉर्ड बढ़त बनाई. यहां AIMIM के प्रभाव के बावजूद मुसलमानों का बड़ा हिस्सा नीतीश के पक्ष में झुका, जबकि RJD का परंपरागत एम फैक्टर कमजोर हो गया. 

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