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सांकेतिक तस्वीर Photograph: (social)
Bihar Elections: पूर्वी बिहार के अररिया जिले की रानीगंज विधानसभा सीट कई मायनों में खास है. यहां महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से अधिक है और उनका मतदान प्रतिशत भी हर चुनाव में बेहतर रहा है. बावजूद इसके, पिछले 30 साल से इस सीट पर कोई महिला विधायक नहीं चुनी गई.
30 साल से महिलाओं का प्रतिनिधित्व गायब
रानीगंज विधानसभा में अब तक 16 बार चुनाव हो चुके हैं. इनमें केवल 1990 और 1995 में शांति देवी नाम की महिला प्रत्याशी लगातार दो बार विधायक चुनी गईं. वह इस क्षेत्र की पहली और अब तक की इकलौती महिला विधायक और मंत्री रही हैं. उनके बाद कई महिला प्रत्याशियों ने किस्मत आजमाई, लेकिन जनता ने उन्हें नकार दिया. इसके बाद से पुरुष प्रत्याशी ही लगातार जीतते रहे.
शांति देवी का राजनीतिक सफर
रानीगंज विधानसभा 1962 से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. शांति देवी पासवान समुदाय से आती थीं और हिंगुवा गांव की निवासी थीं. 1990 में उन्होंने जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. शानदार प्रदर्शन के चलते वह बिहार सरकार में मंत्री भी बनीं. 1995 में उन्होंने फिर से जनता दल की ओर से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. लेकिन जनता दल के टूटने के बाद उनकी पकड़ कमजोर हो गई. 2005 में वह तीसरे स्थान पर चली गईं और फिर कभी वापसी नहीं कर पाईं.
महिलाओं की भागीदारी अधिक
चुनाव आयोग के आंकड़े बताते हैं कि 2020 के विधानसभा चुनाव में रानीगंज सीट पर कुल 3,36,020 मतदाता थे. इनमें 1,74,590 पुरुष और 1,61,414 महिला मतदाता शामिल थे. खास बात यह रही कि मतदान में महिलाओं की सक्रियता ज्यादा रही. कुल डाले गए वैध वोटों की संख्या 1,80,063 थी, जिसमें 86,565 महिला और 74,238 पुरुष मत शामिल थे. यानी महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों से अधिक रहा.
अब तक के निर्वाचित विधायक
रानीगंज विधानसभा से 1957 में पहली बार कांग्रेस के राम नारायण मंडल विधायक बने. इसके बाद अलग-अलग दलों के नेताओं ने यहां जीत दर्ज की. 1990 और 1995 में शांति देवी की जीत के बाद पुरुषों का वर्चस्व लगातार कायम रहा. हालिया चुनावों में जदयू के अचमित ऋषिदेव और भाजपा के परमानंद ऋषिदेव जैसे नेताओं ने यहां जीत हासिल की.
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