बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के मतदान के बाद अब 122 सीटों पर दूसरे चरण में मुकाबला बाकी है. ऐसे में एनडीए और महागठबंधन दोनों ही पूरी ताकत झोंक रहे हैं.
Bihar News:बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के मतदान के बाद अब 122 सीटों पर दूसरे चरण में मुकाबला बाकी है. एनडीए और महागठबंधन दोनों ही पूरी ताकत झोंक रहे हैं, जनता तय करेगी कौन मारेगा बाजी.
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले घुसपैठ और विकास का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया. एक टीवी डिबेट में डॉक्टर रामसागर सिंह ने कहा कि अगर भाजपा समाज को बांटने वाली पार्टी होती तो आयुष्मान भारत योजना में किसी धर्म या जाति के आधार पर भेदभाव होता. उन्होंने बताया कि इस योजना की पहली लाभार्थी एक मुस्लिम महिला थी जो बिहार की रहने वाली थी. उन्होंने कहा कि भाजपा की योजनाओं का लाभ सभी वर्गों को बराबर मिलता है.
जब उनसे पूछा गया कि भाजपा हर चुनाव में घुसपैठियों को खदेड़ने की बात करती है, तो अब तक कितने अवैध बांग्लादेशी या रोहिंग्या लोगों को डिपोर्ट किया गया, इस पर उन्होंने कहा कि ‘कार्रवाई हुई है और आगे भी तेजी से होगी.’
सरकारी आंकड़ा क्या कहता है?
एंकर अनुराग ने सरकार के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि चार साल में केवल 2000 घुसपैठियों को ही डिपोर्ट किया गया है. इस रफ्तार से अगर प्रक्रिया जारी रही, तो सबको निकालने में 400 साल लग जाएंगे. इस पर डॉक्टर रामसागर ने जवाब दिया कि अब ‘रॉकेट गति’ से डिपोर्टेशन होगा और बिहार में एनडीए दो-तिहाई बहुमत से सरकार बनाएगी.
इस दौरान एनडीए सहयोगी श्वेता प्रिया ने कहा कि यह मामला राज्य का नहीं बल्कि केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन आता है. उन्होंने बताया कि बिहार में NRC जैसी प्रक्रियाओं का मकसद गैर-नागरिकों की पहचान कर उन्हें वोटिंग से रोकना है.
वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता नीरज मिश्रा ने कहा कि 2001 की जनगणना के अनुसार बिहार के ग्रामीण मुसलमानों की औसत कमाई सिर्फ 12 रुपए प्रतिदिन थी. उन्होंने सवाल उठाया कि इतने सालों में इस स्थिति में कितना सुधार हुआ है. नीति आयोग के ताजा आंकड़ों के अनुसार, बिहार की प्रति व्यक्ति आय अब भी देश के औसत का केवल एक-तिहाई है.
मिश्रा ने कहा कि ‘जो मनमोहन सिंह जी ने कहा था कि देश में कुछ समुदाय औसत गरीबी से भी गरीब हैं, वो बात आज भी सही साबित हो रही है.’
डिबेट का निचोड़ यही रहा कि सत्ता पक्ष विकास और योजनाओं पर भरोसा दिखा रहा है, जबकि विपक्ष सवाल उठा रहा है कि असल जमीन पर बदलाव कितना हुआ है.
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