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Tarapur Seat: मुंगेर जिले के तहत आने वाला तारापुर विधानसभा क्षेत्र, लोकसभा के लिहाज से जमुई संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है. राजनीतिक दृष्टि से यह क्षेत्र बिहार की राजनीति में खास पहचान रखता है. एक समय ऐसा था जब यहां कांग्रेस पार्टी का मजबूत जनाधार हुआ करता था. इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर पांच बार जीत मिली है. इनमें बासुकीनाथ राय दो बार विधायक बने, जबकि जयमंगल सिंह, तारणी प्रसाद और शकुनी चौधरी एक-एक बार विधायक चुने गए. इन जीतों ने कांग्रेस को लंबे समय तक यहां की राजनीति में प्रमुख स्थान दिलाया. लेकिन अब ये जदयू का किला बन चुका है. लेकिन इस बार एनडीए ने इस सीट से अपने सिपाहसालार सम्राट चौधरी को उतारा है.
कांग्रेस का पतन और समाजवादी प्रभाव
समय के साथ राजनीतिक समीकरण बदले और कांग्रेस की पकड़ ढीली पड़ने लगी. आंतरिक गुटबाजी, नेतृत्वहीनता और जमीनी संगठन की कमजोरी ने पार्टी को पीछे धकेल दिया. जब कांग्रेस कमजोर हुई, तब सोशलिस्ट पार्टी और जनता दल जैसे दलों ने अपनी जड़ें मजबूत कीं. इसके बाद यहां राजद ने धीरे-धीरे कांग्रेस के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगाई और खुद को एक मजबूत विकल्प के रूप में स्थापित किया.
चुनावी आंकड़े और प्रमुख विजेता
- अब तक तारापुर विधानसभा में 19 बार चुनाव हुए हैं, जिनमें दो उपचुनाव भी शामिल हैं.
- कांग्रेस: 5 बार
- राजद: 3 बार
- जदयू: 4 बार
संयुक्त समाजवादी पार्टी, शोषित दल, जनता पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और निर्दलीय उम्मीदवार सभी ने एक-एक बार जीत दर्ज की है. कांग्रेस ने आखिरी बार 1972 और 1990 में जीत हासिल की थी. उसके बाद से पार्टी यहां लगातार हार का सामना कर रही है.
वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य
वर्तमान समय में राजद और एनडीए के बीच यहां सीधा मुकाबला देखने को मिलता है. राजद-कांग्रेस गठबंधन के तहत यह सीट राजद के खाते में रहती है, जबकि जदयू या बीजेपी की ओर से एनडीए उम्मीदवार मैदान में उतरते हैं. यहां की राजनीति अब जातीय समीकरण, विकास कार्यों और स्थानीय नेतृत्व की पकड़ पर निर्भर करती है.
साम्राट का मुकाबला महागठबंधन के अरुण कुमार से
एनडीए जहां इस बार तारापुर सीट पर उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को उतारा है वहीं उनकी सीधा मुकाबला महागठबंधन के अरुण कुमार साव से है. अरुण कुमार को राष्ट्रीय जनता दल ने टिकट दिया है. अरुण वैश्य जाति से आते हैं और 2021 के उपचुनाव में उन्होंने जेडीयू उम्मीदवार राजीव कुमार के कड़ी टक्कर दी थी. ये सम्राट चौधरी का गृहनगर हैं उनकी मां पार्वती देवी भी यहां तीन साल तक विधायक रहीं. ऐसे में सम्राट के लिए समर्थन बन सकता है.
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