Bihar Election: रिकॉर्ड तोड़ वोटिंग से बदलेगा सियासी समीकरण, क्या इस बार इतिहास खुद को दोहराएगा?

Bihar Elections: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में वोटिंग के सारे रिकॉर्ड टूट गए. शाम 5 बजे तक ही 60 प्रतिशत से अधिक मतदान दर्ज किया गया, ऐसे में ज्यादा मतदान क्या संकेत दे रहा है.

Bihar Elections: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में वोटिंग के सारे रिकॉर्ड टूट गए. शाम 5 बजे तक ही 60 प्रतिशत से अधिक मतदान दर्ज किया गया, ऐसे में ज्यादा मतदान क्या संकेत दे रहा है.

author-image
Dheeraj Sharma
New Update
Bumper Voting in Bihar first phase

Bihar Elections: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में वोटिंग के सारे रिकॉर्ड टूट गए. शाम 5 बजे तक ही 60 प्रतिशत से अधिक मतदान दर्ज किया गया और कई मतदान केंद्रों पर अब भी लंबी कतारें लगी रहीं. अनुमान है कि अंतिम आंकड़ा 65 प्रतिशत के पार जा सकता है जो बिहार के इतिहास में अब तक का सबसे ऊंचा मतदान प्रतिशत होगा.  यह वही राज्य है जहां 2020 में 56.9 फीसदी और 2000 में 62.6 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. ऐसे में यह उछाल सिर्फ आंकड़ों का नहीं, बल्कि राजनीतिक रुझान और जनभावना में बड़े बदलाव का संकेत माना जा रहा है. 

Advertisment

पुराने रुझान बताते हैं दिलचस्प कहानी

1951 से अब तक बिहार के विधानसभा चुनावों में मतदान प्रतिशत केवल चार बार घटा है, जबकि बाकी चुनावों में लोगों की भागीदारी बढ़ती गई.  1950 और 60 के दशक में जहां औसत वोटिंग 40 से 45 प्रतिशत थी, वहीं 1970 के दशक में यह 50 प्रतिशत के पार पहुंची.  1980 और 1990 के दशक में राजनीतिक चेतना और ग्रामीण जागरूकता ने इसमें नया उछाल दिया और 1990 में 62 फीसदी और 2000 में रिकॉर्ड 62.6 प्रतिशत वोट पड़े थे. 

इसके बाद 2005 में यह अचानक 46.5 फीसदी पर गिर गया, लेकिन उसी चुनाव ने बिहार की राजनीति का चेहरा बदल दिया नीतीश कुमार और सुशासन के युग की शुरुआत हुई. 

वोटिंग बढ़ने का मतलब सत्ता पलटे जरूरी नहीं

अक्सर यह कहा जाता था कि अगर मतदान ज्यादा हुआ तो सत्ता बदलना तय है, लेकिन हालिया चुनावों ने इस धारणा को कमजोर किया है.  आंकड़ों के मुताबिक, जिन 11 चुनावों में वोटिंग प्रतिशत बढ़ा, उनमें से पांच बार सत्तारूढ़ दल की वापसी हुई, जबकि तीन बार जब मतदान घटा, दो बार सत्ता पलट गई. 

यानी ज्यादा वोटिंग अब जरूरी नहीं कि जनता के गुस्से का प्रतीक हो. यह राजनीतिक प्रतिस्पर्धा, महिला भागीदारी और प्रशासनिक सुधारों का नतीजा भी हो सकता है.

महिलाओं ने बदला खेल

बिहार में महिलाओं की मतदान भागीदारी 2010 के बाद से लगातार बढ़ रही है. सड़क, बिजली और सुरक्षा के बेहतर माहौल ने महिलाओं को बूथ तक पहुंचने के लिए प्रेरित किया. 2010 के चुनाव में पहली बार महिलाओं ने पुरुषों से अधिक मतदान किया, और यह प्रवृत्ति आने वाले हर चुनाव में कायम रही. 2025 में भी महिला मतदाता निर्णायक भूमिका में नजर आ रहे हैं, खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां सरकारी योजनाओं का सीधा असर देखने को मिला है.

इतिहास से सीख और 2025 का संकेत

2000 में जब बिहार ने रिकॉर्ड वोटिंग की थी, तब राजनीतिक अस्थिरता अपने चरम पर थी. वहीं 2025 में बिहार स्थिरता के दो दशक पूरे कर चुका है. इस बार के आंकड़े बता रहे हैं कि जनता नीति और नेतृत्व के मूल्यांकन के मूड में है, न कि सिर्फ विरोध या समर्थन के भाव में. अगर मतदान प्रतिशत 65 प्रतिशत पार करता है, तो यह न केवल सक्रिय लोकतंत्र की नई मिसाल बनेगा, बल्कि यह भी दिखाएगा कि बिहार के मतदाता अब राजनीतिक जागरूकता के नए युग में प्रवेश कर चुके हैं.

2025 का बिहार चुनाव सिर्फ सत्ता के लिए नहीं, बल्कि लोकतंत्र की परिपक्वता की परीक्षा बन गया है.
इतिहास गवाह है कि बिहार में जब भी मतदान बढ़ा, नई दिशा तय हुई कभी राजनीतिक अस्थिरता से स्थिरता की ओर, तो कभी जातीय राजनीति से विकास की ओर. अब देखना होगा कि दूसरे चरण में भी जनता का यही रुख रहता है और अगर रहता है तो क्या 14 नवंबर को आने नतीजों में इतिहास दोहराएगा. 

यह भी पढ़ें - Bihar Elections: पहले चरण में जिन सीटों पर हुआ मतदान, जानें बीते चुनाव में किसने लहराया यहां परचम

bihar first phase voting Bihar Election 2025
Advertisment