Bihar Election 2025: सीट बंटवारे में NDA के ऐलान से महागठबंधन को बड़ी राहत, तेजस्वी और राहुल को मिलेगा ये फायदा

एनडीए के सीटों के ऐलान के साथ ही  महागठबंधन को एक बड़ी राहत मिली है. एनडीए के इस ऐलान का तेजस्वी और राहुल गांधी को बड़ा फायदा मिलने की उम्मीद है. आइए जानते हैं कैसे?

एनडीए के सीटों के ऐलान के साथ ही  महागठबंधन को एक बड़ी राहत मिली है. एनडीए के इस ऐलान का तेजस्वी और राहुल गांधी को बड़ा फायदा मिलने की उम्मीद है. आइए जानते हैं कैसे?

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Dheeraj Sharma
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NDA Seat Sharing good for India Alliance

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी तस्वीर धीरे-धीरे साफ होती जा रही है. हालांकि अब भी एनडीए और महागठबंधन दोनों की ओर से सीटों को लेकर औपचारिक ऐलान बाकी है. एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के घटक दलों ने अपने-अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से सीटों का ऐलान तो कर दिया है. लेकिन जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस अभी बाकी है. लेकिन एनडीए के सीटों के ऐलान के साथ ही  महागठबंधन को एक बड़ी राहत मिली है. एनडीए के इस ऐलान का तेजस्वी और राहुल गांधी को बड़ा फायदा मिलने की उम्मीद है. आइए जानते हैं कैसे?

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NDA ने बनाई बढ़त

भाजपा, जेडीयू और लोजपा-रामविलास के बीच सहमति बन गई है, जिसके तहत भाजपा और जेडीयू 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी, जबकि लोजपा-रामविलास को 29 सीटें दी गई हैं.  यह पहली बार है जब भाजपा और जेडीयू बराबर सीटों पर लड़ रही हैं, जो कि एनडीए में भाजपा की बढ़ती सियासी हैसियत का संकेत है. इससे भाजपा ने न सिर्फ अपनी पकड़ मजबूत की है बल्कि चुनावी रणनीति में भी एक मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल कर ली है.

महागठबंधन के लिए कैसे फायदेमंद

दरअसल एनडीए के इस ऐलान से महागठबंधन को अप्रत्याशित राहत मिली है.  खासतौर पर वीआईपी पार्टी प्रमुख मुकेश सहनी के कारण बन रहे दबाव को अब कम होता देखा जा रहा है. सहनी लगातार ज्यादा सीटों की मांग कर रहे थे और साथ ही डिप्टी सीएम पद के लिए सार्वजनिक दावेदारी भी कर चुके हैं. सहनी का कहना है कि चाहे उनकी पार्टी को 14 सीटें मिलें या 44, लेकिन डिप्टी सीएम वही बनें. 

हालांकि तेजस्वी यादव ने इस पर कोई ठोस वादा नहीं किया. माना जा रहा है कि महागठबंधन के सीटों के ऐलान में देरी की वजह भी मुकेश सहनी ही हैं. क्योंकि कांग्रेस के साथ तो तेजस्वी ने आंकड़ा जमा लिया है. लेकिन मुकेश की सीटों और मांगों पर सहमति नहीं बन पा रही है. ऐसे में अब जब एनडीए ने अपने पत्ते खोल दिए हैं, तो सहनी के लिए पाला बदलना आसान नहीं रह गया है. इससे तेजस्वी यादव और राहुल गांधी को राहत मिल सकती है, क्योंकि सहनी की शर्तें अब उतनी असरदार नहीं रहीं.

भाजपा-जेडीयू का स्ट्राइक रेट बना आधार

2020 विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने 115 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें उसे 43 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं भाजपा ने 110 में से 74 सीटें जीती थीं. यही स्ट्राइक रेट इस बार के बराबर बंटवारे का आधार बना. लोजपा-रामविलास को मिली सीटों पर भी रणनीति के तहत बीजेपी समर्थित उम्मीदवारों को उतारे जाने की संभावना है, जिससे बीजेपी की पकड़ और मजबूत होगी.

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