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Bihar Elections: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए एनडीए के प्रमुख घटक दल जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने आखिरकार लंबे मंथन के बाद अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है. इस लिस्ट में कुल 57 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं. खास बात यह है कि जेडीयू ने जहां तीन कद्दावर बाहुबली नेताओं पर भरोसा जताया है, वहीं महिलाओं को भी जगह दी है. हालांकि, मुस्लिम समुदाय से किसी को टिकट न देना चर्चा का विषय बना हुआ है.
तीन बाहुबलियों को मिला मौका
जेडीयू की सूची में तीन ऐसे नाम सामने आए हैं जिन्हें बिहार की राजनीति में बाहुबली नेताओं के रूप में जाना जाता है:
- मोकामा से अनंत सिंह
- एकमा से धुमल सिंह
- कुचायकोट से अमरेन्द्र कुमार पांडेय
इन नामों से यह स्पष्ट है कि पार्टी ने कुछ क्षेत्रों में विधानसभा जीतने की संभावनाओं को प्राथमिकता दी है, भले ही उम्मीदवारों की छवि विवादित क्यों न रही हो.
4 महिलाओं को मिला प्रतिनिधित्व
महिलाओं को सशक्त बनाने के संदेश के साथ जेडीयू ने इस सूची में चार महिला उम्मीदवारों को भी टिकट दिया है:
- मधेपुरा से कविता साहा
- गायघाट से कोमल सिंह
- समस्तीपुर से अश्वमेध देवी
- विभूतिपुर से रवीना कुशवाहा
पार्टी ने महिला प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखते हुए संतुलन साधने की कोशिश की है, हालांकि संख्या अभी भी सीमित है.
मुस्लिम उम्मीदवार नदारद
जेडीयू की 57 उम्मीदवारों की सूची में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार का नाम शामिल नहीं है. यह पहली सूची को लेकर सबसे बड़ा सवाल बनकर उभरा है. हालांकि, पार्टी सूत्रों के अनुसार, आगामी सूची में मुस्लिम उम्मीदवारों को प्रतिनिधित्व देने की संभावना जताई गई है.
सिटिंग विधायकों को मिला दोबारा मौका
- पहली सूची में पार्टी ने 18 मौजूदा विधायकों को दोबारा मौका दिया है.
- हिलसा से कृष्ण मुरारी शरण उर्फ प्रेम मुखिया, जिन्हें 2020 में महज 12 वोटों से जीत मिली थी, फिर से मैदान में होंगे.
- सरायरंजन से विजय कुमार चौधरी को दोबारा टिकट देकर पार्टी ने उनके बेटे के टिकट की अटकलों को विराम दिया है.
मंत्रियों को मिला भरोसा
मंत्री महेश्वर हजारी को फिर से कल्याणपुर सीट से टिकट दिया गया है, जबकि उनके बेटे ने इस साल लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर हार झेली थी.
मंत्री रत्नेश सादा को सोनबरसा, और ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र यादव को भी दोबारा मौका दिया गया है. उन्होंने मंगलवार को ही नामांकन भी दाखिल कर दिया.
इस बार कम सीटों पर ध्यान
जेडीयू इस बार 101 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि 2020 में उसने 115 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे और 43 सीटों पर जीत हासिल की थी. इस बार पार्टी का फोकस गुणवत्ता और जीत की संभावना वाली सीटों पर अधिक है.
जेडीयू की यह पहली सूची जहां रणनीतिक रूप से संतुलन साधने का प्रयास है, वहीं इसके कुछ फैसले अंदरूनी असंतोष और सामाजिक समीकरणों में बदलाव की ओर भी संकेत करते हैं. अब नजरें अगली सूची और उम्मीदवारों के चुनाव प्रचार पर टिकी हैं.
ऐसे चला मास्टरस्ट्रोक
अपनी पहली ही लिस्ट में जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार ने मास्टरस्ट्रोक चल दिया है. इसके साथ ही उन्होंने बता दिया है कि हर वर्ग को साथ लेकर चलने के साथ ही वह नया और पुराना का समन्वय भी बनाकर चलेंगे. अनुभवी मंत्रियों को साथ 18 नए नामों को भी टिकट वितरण में जगह मिली है.
इसके साथ ही गठबंधन में दूसरे दल को हावी न होने देने की रणनीति भी उनसे बेहतर कौन जानता है. जेडीयू ने चिराग पासवान द्वारा मांगी गई पांच सीटों सोनबरसा, अलौली, राजगीर, एकमा और मोरवा पर भी अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं. इससे स्पष्ट संकेत है कि सीट बंटवारे को लेकर एनडीए में सब कुछ सहज नहीं है.
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