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आंगनबाडी सेविकाओं का लगातार प्रदर्शन जारी, मुंगेर में सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी

बिहार में आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका ने अपनी पांच सूत्री मांगों को लेकर विगत 37 दिनों से आंदोलन कर रही है, वहीं शनिवार 4 नवंबर को मुंगेर में करीब 500 आंगनबाडी सेविकाएं और सहायिकाएं किला परिसर स्थित शहीद स्मारक से पैदल चलकर समाहरणालय तक पहुंचीं.

Updated on: 04 Nov 2023, 04:05 PM

highlights

  • आंगनबाडी सेविकाओं का लगातार प्रदर्शन जारी
  • 5  सूत्री मांगों को लेकर नीतीश सरकार के खिलाफ फूटा गुस्सा
  • मुंगेर में सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी

 

Munger:

बिहार में आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका ने अपनी पांच सूत्री मांगों को लेकर विगत 37 दिनों से आंदोलन कर रही है, वहीं शनिवार 4 नवंबर को मुंगेर में करीब 500 आंगनबाडी सेविकाएं और सहायिकाएं किला परिसर स्थित शहीद स्मारक से पैदल चलकर समाहरणालय तक पहुंचीं. इस दौरान सेविकाओं ने सीएम और पीएम के खिलाफ प्रदर्शन किया और मुंगेर डीएम अवनीश कुमार सिंह को ज्ञापन सौंपा गया. बता दें कि प्रदर्शनकारी सेविकाओं ने कहा कि अगर सरकार हमारी 5 सूत्री मांगों को पूरा नहीं करती है तो आने वाले 2024 के चुनाव में सभी सेविका-सहायिका मिलकर वोट काटने का काम करेंगी.

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संघर्ष समिति के महासचिव ने प्रदर्शन को लेकर दी सफाई

आपको बता दें कि संघर्ष समिति की महासचिव पूनम देवी ने इस संबंध में कहा कि, प्रदर्शनकारी सेविका-सहायिकाओं की मुख्य मांगों में 10 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि सुनिश्चित करना, सरकारी कर्मचारी का दर्जा देना शामिल है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में ग्रेच्युटी भुगतान समेत अपनी पांच सूत्री मांगों को लेकर आंगनबाडी सेविका और सहायिका पिछले एक साल से आंदोलन कर रही हैं. अब सरकार को हमारी मांग पूरी करनी चाहिए.''

इसके साथ ही आपको बता दें कि इस आंदोलन को लेकर सचिव पूनम देवी ने कहा था कि, आंदोलनरत आंगनबाडी सेविकाओं ने बिहार सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की और अपनी मांगों को लेकर आंदोलन तेज करने का भी ऐलान किया. इस दौरान बड़ी संख्या में मौजूद आंगनबाडी कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया और राज्य सरकार से उनकी मांगों पर जल्द से जल्द निर्णय लेने की अपील की.''

कल हुआ था पटना में प्रदर्शन 

इसके साथ ही आपको बता दें कि 3 नवंबर यानी कल आंगनबाडी कार्यकर्ताओं ने 5 सूत्री मांगों को लेकर पटना के डाकबंगला चौराहे पर प्रदर्शन किया था, जिसमें करीब 2 हजार आंगनबाड़ी सेविकाओं शामिल हुईं थी. बता दें कि अगर किसी सेविका की ड्यूटी के दौरान मौत हो जाती है तो उसका मानदेय रोककर वेतन मिलना चाहिए, सरकारी कर्मचारी का दर्जा मिलना चाहिए, इसलिए उनकी जगह उनके परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाए और सेवानिवृत्ति पेंशन दी जाए, यही मुख्य मांग है.