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Bihar Politics: बिहार में 2025 के अंत तक होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी तापमान चढ़ने लगा है. जहां एक ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कमर कस ली है. वहीं चुनाव प्रचार की बागडोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा विरोधी खेमे में कांग्रेस नेता राहुल गांधी जैसे दिग्गजों ने भी संभाल ली है. लेकिन इन सबके अलावा इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में कुछ नए राजनीतिक चेहरों की परीक्षा भी होने वाली है. ये चेहरे न सिर्फ अपनी पार्टियों का प्रतिनिधित्व करेंगे, बल्कि राज्य के युवाओं और बदलाव की आकांक्षा रखने वाले मतदाताओं की उम्मीद भी बन सकते हैं.
कौन हैं वो उम्मीदवार जो बिहार चुनाव में बटोर सकते हैं सुर्खियां
बिहार विधानसभा चुनाव में पुराने सूरमाओं के साथ-साथ नए चेहरे भी इस बार चर्चाओं में रह सकते हैं. इसमें नई पार्टी बनाने वाले से लेकर फिल्मों से आए चेहरे प्रमुख रूप से शामिल हैं. जैसे प्रशांत किशोर, कन्हैया कुमार, निशांत दुबे, पुष्पम प्रिया, मुकेस सहनी जिनको लेकर इन दिनों बीजेपी भी दांव चलने की तैयारी में है ये सभी प्रमुख रूप से शामिल हैं. आइए समझते हैं इनके बारे में.
1. प्रशांत किशोर: रणनीतिकार से जननेता बनने की कोशिश
चुनावी रणनीति के मास्टरमाइंड माने जाने वाले प्रशांत किशोर (PK) इस बार खुद मैदान में उतरने की तैयारी में हैं. ‘जन सुराज’ नामक अभियान के जरिए गांव-गांव जाकर वे लोगों से सीधे संवाद कर रहे हैं. PK ने लंबे समय तक पर्दे के पीछे रहकर कई नेताओं की जीत सुनिश्चित की है, लेकिन अब वे बिहार को 'नई दिशा' देने के वादे के साथ खुद सियासी अखाड़े में उतर रहे हैं. उनका अभियान युवाओं और शिक्षित वर्ग में खासा लोकप्रिय हो रहा है.
2. कन्हैया कुमार: वामपंथी विचारधारा से कांग्रेस तक का सफर
कन्हैया कुमार, जेएनयू से निकले पूर्व छात्र नेता, अब कांग्रेस के बड़े चेहरों में शामिल हैं. उन्होंने भाजपा और आरएसएस के खिलाफ अपनी मुखरता के चलते एक खास पहचान बनाई है. बिहार में कन्हैया की भूमिका कांग्रेस की नई छवि गढ़ने में अहम मानी जा रही है. खासकर युवाओं और छात्रों के बीच उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है. अगर कांग्रेस उन्हें अहम भूमिका में उतारती है तो वे विपक्ष को मजबूती देने वाले बन सकते हैं.
3. मुकेश सहनी: 'सन ऑफ मल्लाह' की वापसी की तैयारी
विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के अध्यक्ष मुकेश सहनी फिर से सुर्खियों में हैं. कभी एनडीए का हिस्सा रहे सहनी, अब महागठबंधन में शामिल हैं, लेकिन राजनीतिक गलियारों में उनकी फिर से पाला बदलने की चर्चाएं तेज हैं. मल्लाह समुदाय में उनकी मजबूत पकड़ है, और वह इस बार निर्णायक वोट बैंक का रोल निभा सकते हैं. उनके लिए ये चुनाव ‘राजनीतिक पुनर्वास’ का मौका हो सकता है.
4. पुष्पम प्रिया चौधरी: मॉडर्न सोच और ग्लोबल अपील
प्लूरल्स पार्टी की प्रमुख पुष्पम प्रिया चौधरी 2020 में पहली बार बिहार की राजनीति में उतरीं थीं. अंग्रेजी में किए गए उनके प्रचार और नीतियों ने उन्हें सोशल मीडिया पर काफी लोकप्रिय बना दिया था, लेकिन जमीनी स्तर पर उन्हें सफलता नहीं मिली. इस बार वह अपने अनुभव के साथ दोबारा जनता के बीच जा रही हैं. उनकी छवि ‘क्लीन पॉलिटिक्स’ की है, जो शहरी मतदाताओं को आकर्षित कर सकती है.
5. निशांत कुमार: नई पीढ़ी की आवाज
युवाओं में उभरता हुआ नाम निशांत कुमार भी चुनावी चर्चा का हिस्सा हैं. वे शिक्षा, बेरोजगारी और डिजिटल सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर खुलकर बोलते हैं. सोशल मीडिया के माध्यम से वे युवा वर्ग से जुड़ चुके हैं और इस बार कुछ नए क्षेत्रों में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने की कोशिश में हैं.
परंपरा और फिर परिवर्तन की राह
बता दें कि बिहार का विधानसभा चुनाव इस बार न सिर्फ राजनीतिक समीकरणों का बल्कि नई पीढ़ी के नेतृत्व की परीक्षा भी बनेगा. जहां एक ओर अनुभवी नेता अपने रिकॉर्ड और कद के आधार पर जनता को साधने की कोशिश करेंगे, वहीं ये नई राजनीतिक आवाजें बदलाव की उम्मीद जगा सकती हैं. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि बिहार की जनता परंपरा को चुनती है या परिवर्तन की राह पर आगे बढ़ती है.
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