तेजस्वी की इधर होगी ताजपोशी! उधर बढ़ेगी राहुल,अखिलेश की टेंशन
सवाल यह है कि क्या तेजस्वी यादव जब सत्ता की कुर्सी पर काबिज होंगे तो क्या तमाम बड़े नेता जैसे राहुल गांधी, अखिलेश यादव, कन्हैया कुमार, हेमंत सोरेन इसे बचा पाएंगे.
नई दिल्ली :
बिहार का सिंहासन इस बार कौन संभालने वाला है, इसका पता 10 नवंबर को हो जाएगा. लेकिन एग्जिट पोल के मुताबिक बिहार में इस बार महागठबंधन की सरकार बनने जा रही है. जिसकी कमान तेजस्वी यादव संभालने जा रहे हैं. अगर महागठबंधन सत्ता में आती है तो तेजस्वी यादव (Tejashwi yadav) बिहार के मुख्यमंत्री बनेंगे. इसे लेकर उनके परिवार में खुशी का माहौल भी है. तेजस्वी यादव का आज जन्मदिन हैं, अगर एग्जिट पोल सच होता है तो तेजस्वी को बहुत बड़ा तोहफा उनके बर्थडे पर मिलने वाला है.
महागठबंधन की जीत से कांग्रेस और वामदलों में भी खुशी का माहौल है. लेकिन सवाल यह है कि क्या तेजस्वी यादव जब सत्ता की कुर्सी पर काबिज होंगे तो क्या तमाम बड़े नेता जैसे राहुल गांधी, अखिलेश यादव, कन्हैया कुमार, हेमंत सोरेन इसे बचा पाएंगे. क्या इनकी चिंता नहीं बढ़ जाएगी. अब ये चिंता कैसे बढ़ेगी, इसपर चर्चा करते हैं.
महागठबंधन में तालमेल की कमी
बीजेपी को मात देने के लिए महागठबंधन की घोषणा की गई. अलग-अलग राज्यों में कांग्रेस के साथ मिलकर कई पार्टियों ने बीजेपी को मात देने की कोशिश की है. महागठबंधन में अलग-अलग पार्टियां शामिल हैं, लेकिन अभी भी इसमें तालमेल की भारी कमी है. कोई ऐसा नेता नहीं है जो तमाम पार्टियों को एकजुट करके रख सके.
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सपा और बसपा भी कांग्रेस से हुए दूर
साल 2018 में कर्नाटक में कांग्रेस, जेडीएस की सरकार गठन के दौरान मंच पर विपक्षी दलों ने एकता दर्शाने की कोशिश की थी. इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और बीएसपी प्रमुख मायावती मंच पर साथ आए और दोस्ती दिखाने की कोशिश की. लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव में मायावती महागठबंधन से अलग हो गई और कांग्रेस के खिलाफ आग उगलना शुरू कर दिया. यहां तक की समाजवादी पार्टी भी कांग्रेस से अलग हो गई.
तेजस्वी की जीत विपक्ष को मिल सकता है चेहरा
विपक्ष की अगुवाई कौन करे, इसे लेकर अभी भी कुछ तय नहीं हुआ है. तमाम दलों के नेता चाहते हैं कि उनकी पार्टी का शख्स इसका नेतृत्व करें. कांग्रेस जहां राहुल गांधी को आगे बढ़ा रही है. कांग्रेस चाहती है कि राहुल गांधी महागठबंधन का नेतृत्व करे. वहीं अखिलेश यादव भी इसी जुगत में लगे हुए हैं. वो विपक्ष के नेता के रूप में खुद को स्थापित करने में लगे हुए हैं. इधर वामदल भी कन्हैया को अपना चेहरा बनाने की कोशिश में लगी है. लेकिन ये तीनों चेहरे लोकसभा चुनाव में मात खा चुकी है. अगर तेजस्वी जीतते हैं तो फिर विपक्ष के नेता के रूप में खुद को स्थापित कर सकते हैं. ऐसे में कांग्रेस, सपा और वामदल की टेंशन बढ़ सकती है.
तेजस्वी का बढ़ जाएगा कद
बिहार चुनाव में तेजस्वी यादव का मुकाबला नीतीश से नहीं था बल्कि देश के प्रधानमंत्री मोदी से था. पीएम मोदी यहां पर कई रैलियां किए, एग्जिट पोल के नतीजे अगर सच होते हैं तो तेजस्वी यादव एक तरह से मोदी के चेहरे को हराएंगे. ऐसे में उनका कद बढ़ जाएगा.
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2014 के लोकसभा चुनाव के बाद अरविंद केजरीवाल, हेमंत सोरेन और नीतीश कुमार तीन ऐसे चेहरे रहे हैं जो अपने दम पर पीएम मोदी की छवि के सामने जीत दर्ज कर पाए हैं. लेकिन नीतीश कुमार बीजेपी के साथ हैं. हेमंत सोरेन छोटे से राज्य के सीएम हैं जबकि केजरीवाल का भी वहीं हाल है. ऐसे में ये दोनों विपक्ष का चेहरा नहीं बन सकते हैं. लेकिन तेजस्वी के हाथ यह मौका लग सकती है.
आरजेडी अब तक बीजेपी की कर रही मुखालफत
लालू यादव का परिवार ऐसा है जो अभी तक बीजेपी और पीएम मोदी के खिलाफ खुलकर बोलती रही है. लालू यादव जेल में हैं बावजूद इसके वो मोदी को निशाने पर लेते रहे हैं. जबकि कई ऐसे मौके आए हैं जब विपक्ष के बाकी नेताओं का सुर बदला है. लेकिन आरजेडी का सुर अभी तक नहीं बदला. वे खुद को तथाकथित रूप से सेक्युलर के सबसे बड़े पैरोकार बताते रहे हैं.
एग्जिट पोल होता है सच तो तेजस्वी होंगे मजबूत
इस बार के चुनाव में तेजस्वी यादव ने खुद को अकेले ही साबित करने की कोशिश की. एक बार सिर्फ उन्होंने राहुल गांधी के साथ मंच साझा किया. जबकि कन्हैया कुमार कहीं नजर नहीं आए. बताया जाता है कि लोकसभा चुनाव में आरजेडी ने कन्हैया कुमार की सीट पर प्रत्याशी उतारा क्योंकि वो नहीं चाहती थी कि तेजस्वी के सामने को कॉम्पिटिशन देने वाला सामने आए. आरजेडी तेजस्वी को एक मजबूत चेहरे के रूप में पेश करना चाहती है. अगर बिहार चुनाव के रिजल्ट में महागठबंधन की जीत होती है तो तेजस्वी एक बड़े राज्य की कमान संभालेंगे. जो आगे जाकर राहुल गांधी, अखिलेश यादव और कन्हैया के लिए टेंशन का सबब बन सकते हैं.
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