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बिहार में विधानसभा चुनाव की धमक, ओवैसी की दस्तक से गरमाई सियासत

बिहार में विधानसभा चुनाव की धमक तेज सुनाई दे रही है. अमित शाह की वर्चुअल रैली, लालू का जन्मदिन और नीतीश की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बीच बिहार के सीमांचल में हलचल बढ़ी है.

Updated on: 14 Jun 2020, 03:40 PM

पटना:

बिहार (Bihar) में इस साल होने वाले विधान सभा चुनाव की धमक तेज सुनाई दे रही है. गृहमंत्री अमित शाह की वर्चुअल रैली, लालू यादव का जन्मदिन और नीतीश कुमार की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बीच बिहार के सीमांचल में हलचल बढ़ी है. असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने सबसे पहले उपस्थिति दर्ज कराई और बिहार की सियासत गरमाई. बिहार में चुनावी बिगुल राजनीतिक दलों ने फूंक दिया है. इस कोरोना संकट में सभी अपनी अपनी तैयारी में जुट गए हैं.

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पिछले हफ्ते देश के गृहमंत्री अमित शाह ने वर्चुअल रैली कर चुनावी शंखनाद किया. इधर, लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल भी अपनी कवायद में जुटी हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार वीडियो कॉन्फ्रेंस कर अपने कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने में जुटे हैं. इन सबके बीच ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असादुदीन ओवैसी ने ओर से पहली घोषणा की. 2020 चुनाव को लेकर AIMIM ने पहली जिलावार विधानसभा क्षेत्रों की सूची जारी कर दी है. AIMIM बिहार के 22 जिले के 32 विधानसभा क्षेत्रों की सूची जारी की गई.

  • कटिहार के तीन विधानसभा बलरामपुर, बरारी और कदवा.
  • पूर्णिया के दो विधानसभा अमौर और बायसी.
  • अररिया में एक विधानसभा जोकीहाट
  • दरभंगा विधानसभा में एक केवटी.
  • समस्तीपुर में एक विधानसभा समस्तीपुर.
  • मधुबनी में दो बिस्फी और झंझारपुर.
  • मुजफ्फरपुर में दो बौचहा(आरक्षित) और साहेबगंज.
  • वैशाली में एक महुआ विधानसभा
  • पश्चिम चंपारण में दो बेतिया और रामनगर (आरक्षित)
  • मोतिहारी में दो विधानसभा ढाका और नरकटियागंज.
  • सीतामढ़ी में दो परिहार और बाजपट्टी.
  • पटना में एक फुलवारी (आरक्षित)
  • सिवान में दो रघुनाथपुर और दरौंधा.
  • गोपालगंज में एक बरौली
  • बेगुसराय में एक साहेबपुरकमाल
  • भगालपुर में एक कहलगांव
  • खगड़िया में एक सिमरी बख्तियारपुर.
  • आरा में एक शाहपुर विधानसभा.
  • जहानाबाद में एक मखदुमपुर.
  • गया में दो इमामगंज और वजीरगंज
  • औरंगाबाद में एक औरंगाबाद विधानसभा.
  • कैमूर में एक चैनपुर विधानसभा.

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कोसी और पूर्णिया का इलाका मिलाकर बनने वाले सीमांचल में 37 सीटें आती हैं. जिसमें पूर्णिया मंडल में 24 व कोसी मंडल में 13 सीटें हैं. सीमांचल की 25 सीटों पर मुसलमान मतदाता जहां निर्णायक होते हैं. वहीं शेष सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम मतदाता परिणाम को प्रभावित करते हैं. किशनगंज में 70 प्रतिशत, कटिहार में 45, अररिया में 35 और पूर्णिया में 35 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं. पिछले विधान सभा चुनाव में ओबेसी ने सिर्फ 6 विधानसभा क्षेत्र में अपने उम्मीदवार उतारे थे. यह देखने के लिए की बिहार में पार्टी का भविष्य क्या है, जिनमें किशनगंज, रानीगंज, बैसी, अमौर, बलरामपुर और कोचाधमन विधानसभा शामिल थे.

हालांकि बहुत कम अंतर से इन सभी सीटों पर पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था. लेकिन इन 5 सालों में मुस्लिम मतदाताओं में तेजी से पकड़ इस पार्टी ने बनाया है. 2020 चुनाव में अभी 32 सीटों की सूची जारी की गई है, जिसमें किशनगंज शामिल नहीं है. यहां पार्टी के मुताबिक, 4 विधानसभा सीटों पर पार्टी चुनाव लड़ेगी .किशनगंज सदर विधान सभा क्षेत्र पर अभी AIMIM का कब्जा है. बिहार के जिन 32 सीटों की सूची जारी की गई है. उनमें दलित और पिछड़े वर्ग के साथ साथ मुस्लिम आबादी लगभग 50 फीसदी है, जो किसी भी पार्टी के हार जीत के लिए अहम भूमिका निभा सकती हैं. लालू यादव के माई समीकरण की जगह ऑबेसी का एम डी यानी मुस्लिम दलित समीकरण महागठबंधन के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती है. ऐसे लालू प्रसाद यादव का राष्ट्रीय जनता दल इसे नकारने में जुटा है.

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बिहार के उद्योग मंत्री श्याम रजक कहते हैं कि अल्पसंख्यक और दलित इन दोनों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भी नजर रही है, सो अब वो भी इस बात से थोड़ा सकते में तो हैं कि अगर इन अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में नए खिलाड़ी आएंगे तो परेशानी बढ़ेगी. सो अभी से ये इन्हें इनकार रहे हैं. इन्हें मुख्यमंत्री के विकास का भरोसा है. बहरहाल, अब सोचना तो हर दल को है कि इस चुनावी महासमर में कौन किसके वोट बैंक में सेंधमारी कर रहा है और ओवैसी ने शुरुआत कर दी है.