घंटों इंतजार करने के बाद भी इलाज नहीं मिला.( Photo Credit : News State Bihar Jharakhand)
बिहार सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था की बेहतरी के कितने भी दावे क्यों ना कर ले, लेकिन जमीनी हकीकत हमेशा दावों के उलट होती है. अगर बात करें सुपौल की तो यहां के त्रिवेणीगंज अनुमंडल अस्पताल की लापरवाही थमने का नाम ही नहीं ले रही है. ताजा मामले में एक दिव्यांग शख्स को घंटों इंतजार करने के बाद भी इलाज नहीं मिल पाया है. जिसके बाद पीड़ित दिव्यांग बिना इलाज के ही घर लौटने को मजबूर हो गया.
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वैसे तो अस्पताल के ओपीडी में सुबह से ही मरीजों की लाइन लगी थी. सैकड़ों मरीज इलाज के लिए डॉक्टर साहब का इंतजार कर रहे थे. इस बीच एक दिव्यांग जो देख नहीं सकता वो भी इलाज के लिए आया. पूछने पर पता चला कि वो मांगकर किसी तरह अपना पेट पालता है. इसमें पत्नी उसकी मदद करती है, लेकिन अचानक उसकी तबीयत खराब हो गई. ऐसे में वो अनुमंडलीय अस्पताल त्रिवेणीगंज इस उम्मीद से आया कि सरकारी अस्पताल में उसे बिना पैसों के ही इलाज मिल जाएगा, लेकिन अस्पताल में घंटों इंतजार के बाद भी कोई डॉक्टर नहीं आया. लिहाजा दिव्यांग को बिना इलाज के ही घर लौटना पड़ा. ओपीडी में इलाज कराने आए ऐसे कई मरीजों और उनके परिजनों ने बताया कि वो सुबह से ही लाइन में खड़े हैं, लेकिन उन्हें देखने कोई डॉक्टर नहीं आया.
गौरतलब है कि एक तरफ सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने और गरीबों को उचित इलाज दिलाने के लिए शासन और प्रशासन बड़े-बड़े दावे ठोकती है. स्वास्थ्य मंत्री सह सूबे के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव व स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव भी अस्पतालों का निरीक्षण करते दिखते हैं, लेकिन इस सब के बाद भी आम जनता बेहतर इलाज के लिए जद्दोजहद करती दिखाई देती है. अनुमंडलीय अस्पतालों पर आम जनता निर्भर रहती है. ऐसे में अगर इन्हीं अस्पतालों के डॉक्टर और प्रबंधन लापरवाही करते नजर आएंगे तो स्वास्थ्य व्यवस्था का बेहतर होना टेढ़ी खीर साबित होगी.
रिपोर्ट : विष्णु गुप्ता
HIGHLIGHTS
सुपौल के त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल का हाल
अस्पताल में समय पर नहीं आते डॉक्टर
लोगों बिना दवाएं लिए घर लौटने को रहते हैं मजबूर
दिव्यांग शख्स को भी नहीं मिल सका इलाज
बड़ा सवाल-कब होगी जिम्मेदारों डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई?