युवाओं की प्रेरणा बने बांका के गौरव, कड़कनाथ मुर्गा पालन कर बने आत्मनिर्भर

नर हो, न निराश करो मन को. कुछ काम करो, कुछ काम करो. जग में रह कर कुछ नाम करो. मैथलीशरण गुप्त की इन प्रेरक पंक्तियों के उदाहरण हैं बांका के गौरव.

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Jatin Madan
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गौरव के पास करीब 1000 कंकडनाथ तैयार हो चुके हैं. ( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)

नर हो, न निराश करो मन को. कुछ काम करो, कुछ काम करो. जग में रह कर कुछ नाम करो. मैथलीशरण गुप्त की इन प्रेरक पंक्तियों के उदाहरण हैं बांका के गौरव. जो बेरोजगारी का दंश झेल रहे युवओं को स्वरोजगार की प्रेरणा दे रहे हैं. रोजगार के भेड़चाल से निकल कर आत्मनिर्भर बन गए हैं. देश में हर साल लाखों की संख्या में युवा ग्रेजुएट होते हैं. ग्रेजुएशन के बाद आम तौर पर युवाओं का सपना होता है कि उन्हें एक अच्छी नौकरी मिल जाए. नौकरी के लिए युवा ना जाने कितनी ही मेहनत करते हैं. दफ्तरों के चक्कर काटते हैं, लेकिन कुछ एक ही होते हैं जिन्हें मनचाही नौकरी मिल पाती है. हालांकि बेरोजगारी की मार झेल रहे देश के युवाओं में कुछ ऐसे भी है जो नौकरी के भरोसे ना बैठकर खुद ही आत्मनिर्भर बन रहे हैं. इन्हीं युवाओं में से एक है बांका के गौरव, जो कड़कनाथ मुर्गे का फार्म लगाकर अच्छी कमाई कर रहे हैं.

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गौरव बांका के अमरपुर प्रंखंड के छोटी से गांव मालदेवचक के रहने वाले हैं. उन्होंने आम युवाओं की तरह ही पटना युनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया. पढ़ाई के बाद गौरव ने भी नौकरी के लिए दौड़-भाग की. तमाम कोशिशें की, लेकिन नौकरी नहीं लग पाई. इसके बाद गौरव ने ठान लिया कि वो नौकरी के लिए चप्पल घिसने के बजाय खुद ही अपना रोजगार शुरू करेंगे. उन्होंने गांव आकर अपने पिता और रिश्तेदारों से पूंजी लेकर कंड़कनाथ मुर्गे का फार्म तैयार किया और आज गौरव के पास करीब 1000 कंकडनाथ तैयार हो चुके हैं. इसके जरिए गौरव अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.

बात करें कड़कनाथ मुर्गे की तो ये मुर्गे का एक नस्ल है जो मूल रूप से मध्यप्रदेश का है. इस मुर्गे का रंग काला होता है. कड़कनाथ हृदय और डायबिटीज के मरीज के लिए फायदेमंद होता है. इसकी कीमत बाजार में करीब 1500 से लेकर 2000 प्रतिकिलो है. कड़कनाथ मुर्गे के पालन के लिए खुले फार्म का इस्तेमाल कर सकते हैं. मुर्गा पालन की जगह अपने घर के नजदीक खुले स्थान पर रखें. मुर्गा पालन से पहले नजदीकी पोल्ट्री फॉर्म में ट्रेनिंग जरूर लें. फार्म में सिर्फ स्वस्थ चूजों को रखें,ध्यान रखें कि फार्म में जलजमाव ना हो. मुर्गे को स्वस्थ खाना और भरपूर पानी उपलब्ध कराएं.

कड़कनाथ स्वास्थ्य के लिए बेहत फायदेमंद होता है इसलिए इसकी कीमत बाजार में ज्यादा है. ऐसे में कड़कनाथ का पालन कर अच्छे पैसे की कमाई की जा सकती है. इस मुर्गे की प्रजाति को जी आई टैग भी मिल चुका है. वहीं, गौरव का कहना है कि अगर सरकार उनकी मदद करे तो वो अपने फार्म को और बड़ा बनाएंगे. उन्होंने साथ ही ये अपील भी की कि सरकार को इस तरह के स्वरोजगार के लिए युवाओं को जागरुक करना चाहिए ताकि गांवों से पलायन ना कर युवा आत्मनिर्भर बने.

बहरहाल, गौरव का फार्म अच्छा चल रहा है. पहले जहां वो नौकरी के लिए हताश हुआ करते थे वहीं आज वो औरों को रोजगार देने की तैयारी कर रहे हैं. ऐसे में गौरव अपने जैसे तमाम युवाओं के लिए प्रेरणा बन गए हैं.

रिपोर्ट : बीरेंद्र

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HIGHLIGHTS

.युवाओं की प्रेरणा बने गौरव
.कड़कनाथ मुर्गा पालन कर बने आत्मनिर्भर
.पटना विवि. से ग्रेजुएट है गौरव
.पढ़ाई के बाद नहीं मिली नौकरी
.गौरव ने लिया आत्मनिर्भर बनने का फैसला
.कड़कनाथ मुर्गा पालन कर हो रही अच्छी कमाई

Source : News State Bihar Jharkhand

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