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इस मंदिर में सांई भगवान की पूजा पर लगी रोक, प्रतिमा को हटाने का दिया गया निर्देश

मंदिर में भगवान राम और माता सीता के बगल में ही सांई बाबा की भी मूर्ति है जिसको लेकर अब बवाल शुरू हो गया. मंदिर प्रबंधन के तरफ से अब सांई बाबा की मूर्त्ति की पूजा पर रोक लगा दी गई है. साथ ही इस मूर्ति को अब मंदिर परिसर से हटाने का फैसला लिया गया है.

Updated on: 03 Feb 2023, 01:56 PM

highlights

  • सांई बाबा की मूर्ति को लेकर शुरू हो गया बवाल 
  • सांई बाबा की मूर्त्ति की पूजा पर लगा दी गई रोक 
  • प्रतिमा को मंदिर परिसर से हटाने का लिया गया फैसला

Sitamarhi:

सीतामढ़ी में माता सीता का भव्य मंदिर है. जहां दूर दूर से भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं. ऐसी मान्यता है कि यही वो जगह है जहां माता सीता धरती के गर्भ से प्रकट हुई थी. भगवान राम और माता सीता के अलवा इस मंदिर में कई और भगवान की भी मूर्तियां हैं. जिनकी लोग पूजा करते हैं, लेकिन इसी मंदिर में भगवान राम और माता सीता के बगल में ही सांई बाबा की भी मूर्ति है जिसको लेकर अब बवाल शुरू हो गया. मंदिर प्रबंधन के तरफ से अब सांई बाबा की मूर्त्ति की पूजा पर रोक लगा दी गई है. साथ ही इस मूर्ति को अब मंदिर परिसर से हटाने का फैसला लिया गया है. 

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मंदिर परिसर से हटा दी जाएगी सांई भगवान की प्रतिमा 

सीतामढ़ी माता जानकी की जन्मस्थली है और माता जानकी और भगवान राम की इस पवित्र स्थल पर मंदिर स्थापित है. माता जानकी की इस पवित्र मंदिर के दर्शन के लिए दूर दूर से पर्यटक और हिंदू आस्था में विश्वाश रखने वाले लोग आते है. मंदिर परिसर में ही माता जानकी, भगवान राम के अलावा दूसरे देवी देवताओं की मूर्ति भी स्थापित है. जिनकी विधि विधान के अनुसार रोज पूजा अर्चना होती है. इन सब के बीच भगवान साई की भी मंदिर परिसर में मूर्ति स्थापित है. भगवान राम और माता सीता के बगल में ही भगवान सांई की भी प्रतिमा स्थापित है, लेकिन अब मंदिर प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है कि भगवान सांई की इस प्रतिमा को मंदिर परिसर से हटा दिया जाएगा. मंदिर प्रबंधन के द्वारा तत्काल सांई की मूर्ति की पूजा अर्चना पर भी रोक लगा दी गई है और सांई की मंदिर को बंद कर दिया गया है. जानकी मंदिर आयोजन समिति के अध्यक्ष अभिषेक कुमार शिशु ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से इस बारे में बताया है. मंदिर प्रबंधन से जब ये पूछा गया कि आखिर सांई की मूर्ति का क्या होगा उसको किसी दूसरे मंदिर में स्थापित किया जाएगा या फिर उसको नदी में प्रवाहित कर दिया जाएगा लेकिन मंदिर प्रबंधन ने इस सवाल पर चुप्पी साध ली है. 

रिपोर्ट - आनंद बिहारी सिंह