बिहार के बाहुबली नेता पूर्व सांसद आनंद मोहन का आज पैरोल अवधि खत्म गई. उन्होंने पैरोल अवधि खत्म होने के बाद सहरसा जेल में जाकर सरेंडर कर दिया है. हालांकि, आनंद मोहन को आज 12 बजे तक ही सरेंडर करना था लेकिन वह लगभग 4 बजे शाम को जेल में सरेंडर करने पहुंचे. माना जा रहा है कि आनंद मोहन आज देर शाम तक रिहा हो सकते हैं. लेकिन एक कैदी को रिहाई से पहले जेल के अंदर भी उसे कानून प्रक्रिया से गुजरना होता है. ऐसे में हम आपको बताते हैं कि एक कैदी को जेल के अंदर किन कानूनी प्रक्रियाओं से रिहाई से पहले गुजरना पड़ता है.
राइटर देता है आवाज
हर कैदी की रिहाई का आदेश जब जेल अधीक्षक के कार्यालय से जेल के अंदर आगे बढ़ता है तो सबसे पहले राइटर (एक कैदी जो लेखा से संबंधी काम करता है) वह एक पर्ची लेकर उस बैरक में जाता है जहां कैदी रहता है. कैदी की रिहाई के बारे में बैरकर राइटर को लेखा राइटर जानकारी देता है. बैरक राइटर कैदी को सबसे पहले बैरक से रिहा करता है और लेखा राइटर द्वारा दी गई पर्ची जिसपर कैदी की रिहाई का आदेश रहता है और उसपर कैदी का नाम और पता अंकित रहता है, उसे रख लेता है और कैदी को लेखा राइटर के हवाले कर देता है.
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डिप्टी जेलर के कार्यालय में जाता है कैदी
लेखा राइटर, कैदी को बैरक से निकालकर संबंधित बैरक के डिप्टी जेलर (उप-कारापाल) के कक्ष में ले जाता है. लेखा राइटर के पास कैदी का नाम जब वह जेल के अंदर पहली बार आया था वो वाला रजिस्टर होता है. उस रजिस्टर को डिप्टी जेलर के सामने रखा जाता है। डिप्टी जेलर रिहाई वाले कैदी से उसका नाम, पिता का नाम, पता, पत्नी का नाम कन्फर्म करता है और सबसे अंत में जो रजिस्टर में बॉडी पर मार्क लिखा होता है उसके बारे में पूछता है और मार्क वाले स्थान (जैसे कि चोट, तिल, मस्सा आदि) दिखाने को कहता है. यानि कि कैदी वही है जिसकी रिहाई की जा रही उसके बारे में पूरी संतुष्टि कर लेता है. इतना ही नहीं किस थाने से मुकदमें में बंद किया गया था, किन धाराओं में बंद है, ऐसे सवाल भी डिप्टी जेलर कैदी से पूछता है और कैदी के हाथ पर एक स्टैंप रिहाई से जुड़ा लगाकर उसका रजिस्टर वापस लेखा राइटर को दे देता है.
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जेलर देता है रिहाई को अंतिम रूप
लेखा राइटर कैदी के रजिस्टर और कैदी को लेकर जेलर (कारापाल) के कार्यलय में पहुंचता है. जेलर यानि कारापाल द्वारा भी डिप्टी जेलर की तरह है कैदी से सवाल जवाब किया जाता है. साथ ही कैदी को भविष्य में अपराध ना करने के लिए कहा जाता है और वादा लिया जाता है. उसके बाद एक स्टैंप कैदी के दूसरे हाथ पर भी लगाया जाता है जो उसकी रिहाई के लिए जेलर कार्यालय की मुहर होती है. उसके बाद कैदी को जेल से रिहा कर दिया जाता है.
HIGHLIGHTS
- कैदी की रिहाई प्रक्रिया में लग जाते हैं 1 से 2 घंटे
- लेखा राइटर से लेकर जेलर तक निभाते हैं अपनी भूमिका
Source : News State Bihar Jharkhand