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फिर से जेल जा सकते हैं आनंद मोहन, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी

बिहार के पूर्व बाहुबली सांसद आनंद मोहन की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिक पर सुनवाई पूरी हो चुकी है. सो

Updated on: 04 Mar 2024, 08:24 PM

highlights

  • फिर से जेल जा सकते हैं आनंद मोहन
  • सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी
  • जी कृष्णैया हत्याकांड में पाए गए थे दोषी

 

Patna:

बिहार के पूर्व बाहुबली सांसद आनंद मोहन की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिक पर सुनवाई पूरी हो चुकी है. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में आनंद मोहन पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह कहा कि वह इस मामले पर विस्तृत सुनवाई करेगा. इसके साथ ही कोर्ट ने प्राथमिकता के आधार पर मामले को जल्द सूचीबद्ध करने का भरोसा दिया है. बता दें कि गोपालगंज के तत्कालीनी डीएम जी. कृष्णैया की पत्नी ने आनंद मोहन की रिहाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. दरअसल, जी. कृष्णैया की हत्या में आनंद मोहन को दोषी पाया गया था और उन्हें इस हत्याकांड में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी, लेकिन बिहार सरकार ने कानून में बदलाव करते हुए उन्हें रिहा कर दिया था. आनंद मोहन की रिहाई के फैसले को चुनौती देते हुए डीएम की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. बिहार सरकार के इस फैसेल को कृष्णैया की पत्नी ने गलत बताया था. 

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16 साल बाद आए जेल से बाहर

आनंद मोहन को डीएम हत्याकांड में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. वहीं, बिहार की पूर्व महागठबंधन की सरकार की ओर से जैल मैनुअल में बदलाव किए गए, जिसके बाद आनंद मोहन सहित कई कैदियों को रिहा कर दिया गया. बिहार सरकार के इस फैसले का दिवंगत डीएग की पत्नी ने विरोध जताते हुए न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. 

1994 में की गई थी डीएम की हत्या

आपको बता दें कि 5 दिसंबर,1994 में बिहार के गोपालगंज जिले के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की हत्या कर दी गई थी. इस हत्याकांड ने ठंड में सियासी पारा बढ़ा कर रख दिया था. दरअसल, उस वक्त बिहार पीपुल्स पार्टी के छोटन शुक्ला की हत्या कर दी गई थी, जिनके समर्थक ने मुजफ्फरपुर से जुलूस निकाला था और उनकी शव का अंतिम संस्कार करने जा रहे थे. वहीं, तत्कालीन डीएम कृष्णैया नेशनल हाईवे से गोपालगंज लौट रहे थे. इस बीच वह जुलूस में फंस गए और इसी भीड़ ने कृष्णैया की जान ले ली. इस हत्यकांड में आनंद मोहन को दोषी पाया गया था और उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी. बाद में उनकी सजा को पटना हाईकोर्ट ने फांसी से बदलकर आजीवन कारावास में परिवर्तित कर दिया था.