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एंबुलेंस का इंतजार करता मरीज.( Photo Credit : News State Bihar Jharakhand)
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एंबुलेंस का इंतजार करता मरीज.( Photo Credit : News State Bihar Jharakhand)
बिहार में सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर कितने भी दावे क्यों ना कर ले, लेकिन धरातल पर हकीकत तस्वीरों से ही बयां हो जाती है. एक ऐसी ही तस्वीर सामने सुपौल से आई है, जिसने एक बार फिर प्रदेश के स्वास्थ्य महकमे को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है. यहां रेफर होने के चार घंटे बाद भी नहीं मरीज को एंबुलेंस नहीं मिली. बताया जा रहा है कि पेशे से सफाई कर्मी वार्ड महादेव राउत दोपहर काम के लिए निकला था, लेकिन घर से कुछ दूर निकलने पर ही उसे चक्कर आ गया और वो गिर गया. परेशान परिजन उसे इलाज के लिए सदर अस्पताल लेकर पहुंचे. यहां जांच के बाद मौजूद डॉक्टर ने बेहतर इलाज के लिए करीब दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया, लेकिन 4 घंटे इंतजार के बाद भी परिजनों को सरकारी एंबुलेंस नहीं मिल पाई.
बदहाल स्वास्थ्य महकमा
हालांकि इस दौरान अस्पताल परिसर में ही एंबुलेंस खड़ी रही, लेकिन परिजनों की मानें तो पूछने पर उन्हें यही बताया गया कि ये किसी कैंसर पेशेंट के लिए रिजर्व है. लिहाजा महादलित परिवार को घंटों तक अस्पताल परिसर में ही मरीज को ठेले पर रख कर एंबुलेंस का इंतजार करना पड़ा. इससे पहले मंगलवार को भी पिपरा थाना इलाके से पोस्टमार्टम के लिए आए एक परिवार को शव वाहन नहीं मिल पाया था. जिसके बाद परिजन ट्रैक्टर पर शव लेकर घर निकल पड़े थे. बार-बार आ रही इस तरह की तस्वीर बिहार सरकार के बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलती है.
सवाल ये कि बार-बार इस तरह की तस्वीरें सामने आने के बाद भी क्या अस्पतालों पर कार्रवाई नहीं होती...
क्या अस्पतालों में एंबुलेंस की पर्याप्त सुविधा नहीं है...
अगर नहीं है तो सरकार या स्वास्थ्य विभाग ने व्यवस्था करने के लिए क्या पहल की...
क्या हर बार मरीजों को यूं ही शव पर लादकर ले जाना पड़ेगा...
रिपोर्ट : केशव कुमार
HIGHLIGHTS
Source : News State Bihar Jharkhand