‘वोट बैंक’ बचाने के लिए झुका महागठबंधन, खींचतान के बाद सहनी बने डिप्टी सीएम के दावेदार

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले महागठबंधन में सीटों और पदों को लेकर मचे घमासान के बीच बड़ी सहमति बनी है. तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का चेहरा और वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम पद का दावेदार घोषित किया गया है.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले महागठबंधन में सीटों और पदों को लेकर मचे घमासान के बीच बड़ी सहमति बनी है. तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का चेहरा और वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम पद का दावेदार घोषित किया गया है.

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Ravi Prashant
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मुकेश सहनी Photograph: (ANi)

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन में काफी उथल-पुथल देखने को मिली, जो कई दिनों से चल रही खींचतान का नतीजा थी. दरअसल, होटल मौर्य में गुरुवार सुबह 11:30 बजे महागठबंधन की अहम प्रेस कॉन्फ्रेंस तय थी. मंच तैयार था, बैनर लग गए थे, और सबकी निगाहें थीं सिर्फ एक बड़े ऐलान पर तेजस्वी यादव को बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया जाना था.

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लेकिन जैसे-जैसे दोपहर करीब आई, पूरे घटनाक्रम ने अप्रत्याशित मोड़ ले लिया. प्रेस कॉन्फ्रेंस से ठीक पहले विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के प्रमुख मुकेश सहनी ने ऐलान कर दिया, “अगर तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री चेहरा होंगे, तो मैं डिप्टी मुख्यमंत्री बनूंगा.”

सहनी ने महागठबंधन में मचा दी हलचल

इस बयान ने महागठबंधन के अंदर हलचल मचा दी. बताया जाता है कि सहनी उसी होटल में ठहरे हुए थे, जहां कांग्रेस नेता अशोक गहलोत समेत तमाम वरिष्ठ नेता मौजूद थे. प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले सभी गहलोत के सुइट में रणनीति बना रहे थे, लेकिन सहनी अपने कमरे से बाहर नहीं आए. उनके संदेश का मतलब साफ था बिना डिप्टी सीएम पद के वे आगे नहीं बढ़ेंगे.

सहनी की दलील और गठबंधन की परेशानी

सहनी ने मीडिया से कहा कि उन्होंने शुरू में 25 सीटों की मांग की थी, लेकिन 15 सीटों पर समझौता इसलिए किया क्योंकि उन्हें डिप्टी सीएम पद की उम्मीद थी. अब अगर यह वादा नहीं निभाया गया, तो वे अपने समर्थकों को जवाब नहीं दे पाएंगे. तेजस्वी यादव ने खुद हस्तक्षेप करते हुए उन्हें मनाने की कोशिश की और भरोसा दिलाया कि सरकार बनने पर सभी दलों को समान भागीदारी मिलेगी, लेकिन सहनी अपनी मांग से पीछे हटने को तैयार नहीं हुए.

गहलोत की दखल और दिल्ली से हरी झंडी

सूत्रों के मुताबिक, बताया जा रहा है कि स्थिति बिगड़ती देख अशोक गहलोत ने दिल्ली से कांग्रेस हाईकमान को फोन किया. हाईकमान की ओर से संकेत आया,  वाम दलों के नेता दीपांकर भट्टाचार्य ने भी सहमति जताई, जिसके बाद आखिर में मंच से दो बड़े ऐलान हुए तेजस्वी यादव होंगे महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार और मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम पद का दावेदार माना जाएगा. 

सीट बंटवारे से लेकर सत्ता हिस्सेदारी तक दबाव की राजनीति

यह पहला मौका नहीं है, जब मुकेश सहनी ने महागठबंधन को दबाव में लाया हो. सीट बंटवारे के वक्त भी उन्होंने 24 सीटों की मांग रखी थी, जबकि आखिर में उन्हें 15 सीटें मिलीं. बदले में विधान परिषद की दो सीटें और राज्यसभा की एक सीट का वादा हुआ था. अब डिप्टी सीएम की मांग ने फिर गठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़े कर दिए।

क्यों अहम हैं मुकेश सहनी?

बिहार की राजनीति में मुकेश, सहनी और निषाद समुदाय के बड़े चेहरे माने जाते हैं. यह वोट बैंक करीब 9 प्रतिशत है और मिथिलांचल से सीमांचल तक इनकी पकड़ मजबूत है. यही वजह रही कि महागठबंधन सहनी को नाराज करने का जोखिम नहीं उठा सका.

क्या सहनी के बिना चुनाव संभव था?

तकनीकी रूप से भले महागठबंधन सहनी के बिना मैदान में उतर सकता था, लेकिन रणनीतिक रूप से यह नुकसानदेह साबित होता. सहनी के अलग होने पर वोटों का बड़ा हिस्सा खिसक सकता था. इसलिए गठबंधन ने उन्हें डिप्टी सीएम पद का दावेदार घोषित कर संतुलन साधा.

कांग्रेस का बयान और आगे की रणनीति

अशोक गहलोत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “तेजस्वी युवा हैं, ऊर्जावान हैं और राहुल गांधी ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से समर्थन दिया है.” अब महागठबंधन की कोशिश है कि बाकी छोटे दलों को भी समान प्रतिनिधित्व देकर “बहु-नेतृत्व मॉडल” के तहत चुनावी अभियान को मजबूत किया जाए. कुल मिलाकर, तेजस्वी-सहनी की जोड़ी अब 2025 के बिहार चुनाव में महागठबंधन की नयी ताकत बनकर उभरने की कोशिश में है.

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