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शख्स की मौत के बाद रिश्तेदारों ने उसकी झोपड़ी में ही उसे दफना दिया, पूरा माजरा जान हैरान रह जाएंगे आप

बिहार के भागलपुर में कूड़ा बीनने वाले 30 वर्षीय एक व्यक्ति की मौत होने पर रिश्तेदारों ने उसे उसकी झोपड़ी में ही दफना दिया. पुलिस ने घटना की जानकारी मिलने के बाद शव को बाहर निकाला और आगे की जांच के लिए विसरा सुरक्षित रखने के बाद अंतिम संस्कार कराया.

Updated on: 25 May 2020, 08:41 PM

भागलपुर:

बिहार के भागलपुर में कूड़ा बीनने वाले 30 वर्षीय एक व्यक्ति की मौत होने पर रिश्तेदारों ने उसे उसकी झोपड़ी में ही दफना दिया. पुलिस ने घटना की जानकारी मिलने के बाद शव को बाहर निकाला और आगे की जांच के लिए विसरा सुरक्षित रखने के बाद अंतिम संस्कार कराया. हालांकि, पुलिस ने परिवार के इस दावे को खारिज कर दिया है कि गरीबी की वजह से उन्होंने झोपड़ी में ही शव को दफनाया था.

इशाकचक पुलिस थाने के प्रभारी निरीक्षक संजय कुमार सुधांशु ने बताया, ‘गुड्डू मंडल को मिर्गी के दौरे पड़ते थे और उसे नशे की भी लत थी. शनिवार को सुबह झोपड़ी में उसे मृत पाया गया.’ उन्होंने बताया कि मंडल अकेला रहता था और शादी के 10 साल बाद पत्नी उसे छोड़कर, कुछ रिश्तेदारों के साथ अलग रहती थी.

सुधांशु ने बताया, ‘स्थानीय लोगों के मुताबिक शुक्रवार को मंडल को मिर्गी का दौरा पड़ा था और उसने कुछ नशीला पदार्थ भी लिया था. लोगों ने दिन में उसके मुंह से झाग निकलते हुए देखा था. हालांकि, रिश्तेदारों का दावा है कि रात में उसके स्वास्थ्य में सुधार देखा गया था.’

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उन्होंने बताया कि रिश्तेदारों को जैसे ही मंडल की मौत का पता चला, उन्होंने झोपड़ी में ही कब्र खोदकर उसे दफना दिया. सुधांशु ने बताया कि एक पड़ोसी ने घटना के कुछ घंटे बाद ही इसकी जानकारी पुलिस को दी. हम तुरंत घटना स्थल पर पहुंचे और शव को कब्र से निकालकर अंतिम संस्कार के लिए शमशान भूमि लेकर गए.

 निरीक्षक ने बताया कि कुछ पड़ोसियों को रिश्तेदारों द्वारा हत्या करने और सबूत मिटाने के लिए शव दफनाने का शक है. उन्होंने कहा कि हमने अभी तक हत्या का मामला दर्ज नहीं किया है लेकिन विसरा को सुरक्षित रख लिया है और रिपोर्ट आने के बाद उसी के अनुरूप कार्रवाई की जाएगी.

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सुधांशु ने कहा कि कुछ रिश्तेदारों ने दावा किया कि गरीबी की वजह से वे अंतिम संस्कार का खर्च वहन नहीं कर सकते थे इसलिए उनसे जो बन पड़ा उन्होंने किया. लेकिन उनका दावा विश्वसनीय नहीं लगता.

उन्होंने कहा कि न तो पड़ोसियों से मदद मांगी गई और न ही प्रशासन को इसकी जानकारी दी गई जबकि ऐसे मामलों में बिना कोई राशि लिए मदद की जाती है. आश्चर्यजनक रूप से रिश्तेदारों ने कोई मदद नहीं मांगी. मामले की जांच की जा रही है.