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पुलिस के हत्थे चढ़ा पाकिस्तानी साइबर अपराधियों का मददगार Photograph: (Freepic)
Assam News: भारत की जासूसी के आरोप में हरियाणा की यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा सलाखों के पीछे पहुंच चुकी है. इस बीच असम के एक युवक को भी पाकिस्तान की मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. दरअसल,पहलगाम आतंकी हमले के बाद से भारतीय जांच एजेंसियां सर्तक हैं और लगातार आतंकियों और उनके मददगारों के खिलाफ अभियान चला रही हैं.
इस बीच असम पुलिस ने एक ऐसे युवक को गिरफ्तार किया है जो पाकिस्तानी साइबर अपराधियों की मदद कर रहा था. इस युवक की गिरफ्तारी 14 मई को असम के कोंडापुर मंडल के गोलापल्ली गांव से की गई. 19 वर्षीय युवक को पाकिस्तान में बैठे लोगों सहित साइबर अपराधियों को मोबाइल फोन कनेक्शन मुहैया कराने के आरोप में गिरफ्तार किया था.
मोबाइल शॉप पर काम करता था आरोपी
बता दें कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया. इसके बाद सुरक्षा एजेंसियों ने उन सभी संदिग्ध लोगों की निगरानी शुरू कर दी जो किसी भी प्रकार से पाकिस्तानी के साथ संपर्क में थे. असम के गोलापल्ली में रहने वाला मोफिजिल इस्लाम दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम कर रहा था.
असम पुलिस के अनुसार, इस्लाम पहले असम में एक मोबाइल शॉप पर काम करता था, जहां उसने सिम कार्ड हासिल करने के लिए फर्जी आईडी बनाई थी. इन सिम का इस्तेमाल व्हाट्सएप अकाउंट रजिस्टर करने के लिए किया जाता था, जिन्हें बाद में पाकिस्तान में बैठे साइबर अपराधियों को सप्लाई किया जाता था. भारतीय नंबरों का इस्तेमाल करके कॉल प्राप्त करने वाले लोग पीड़ितों को यह विश्वास दिलाते थे कि कॉल घरेलू नंबर से की जा रही है.
तेलंगाना से हुई आरोपी की गिरफ्तारी
ऐसा माना जा रहा है कि इस्लाम ने असम, राजस्थान और तेलंगाना में फैले एक बड़े रैकेट के हिस्से के रूप में सात अन्य लोगों के साथ मिलकर काम किया. गिरोह की गतिविधियां 'ऑपरेशन घोस्ट सिम' के दौरान सामने आईं, जिसे असम पुलिस ने अवैध प्रवासियों और सीमा पार साइबर नेटवर्क की जांच करने वाली सैन्य एजेंसियों से मिली खुफिया जानकारी के आधार पर शुरू किया था.
हालांकि इस्लाम को तेलंगाना में गिरफ़्तार किया गया था, लेकिन असम पुलिस ने शुरू में स्थानीय अधिकारियों को आरोपों की प्रकृति का खुलासा नहीं किया. कथित तौर पर तेलंगाना पुलिस को असम में अपने समकक्षों द्वारा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद इस मामले के बारे में पता चला. इसके बाद से स्थानीय पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि क्या इलाके में अन्य लोगों का भी इस रैकेट में शामिल हैं.
क्यों शुरू किया गया 'ऑपरेशन घोस्ट सिम'?
'ऑपरेशन घोस्ट सिम' तब शुरू किया गया जब सैन्य खुफिया विभाग ने पाकिस्तान से जुड़े एक फ़र्जी सिम कार्ड रैकेट का पता लगाया, जो भारत से संचालित हो रहा था. अधिकारियों ने बताया कि गिरोह ने फ़र्जी आईडी का इस्तेमाल करके सिम हासिल किए और उन्हें पाकिस्तान समेत साइबर अपराधियों को बेच दिया, जो पीड़ितों को ठगने और "राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों" को अंजाम देने के लिए व्हाट्सएप पर भारतीय नंबरों का इस्तेमाल करते थे.
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