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Photograph: (Social Media)
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Noida Dumping Yard Fire: नोएडा के सेक्टर 32 में स्थित डंपिंग ग्राउंड में बुधवार देर रात भीषण आग लग गई, जिससे पूरे इलाके में अफरातफरी मच गई. आग लगने की वजह से पूरा इलाका धुएं के गुबार से भर गया, जिससे स्थानीय लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगी. आग लगने की खबर के बाद दमकल विभाग की कई गाड़ियां मौके पर पहुंच गईं.
प्रारंभिक रिपोर्ट्स के अनुसार, आग लगने की वजह गर्मी और डंपिंग ग्राउंड में जमा ज्वलनशील कचरा माना जा रहा है. बता दें कि आमतौर पर गर्मियों के मौसम में कचरे में मौजूद मीथेन और अन्य ज्वलनशील गैसों के कारण आग लगने की संभावना बढ़ जाती है. हालांकि, अधिकारी आग लगने के सही कारणों की जांच कर रहे हैं.
नोएडा अथॉरिटी के इस डंपिंग ग्राउंड में पहले भी कई बार आग लग चुकी है, लेकिन प्रशासन ने इसे रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए. पिछले साल भी इसी जगह पर गर्मियों में आग लगी थी, जिससे पूरे नोएडा में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया था. स्थानीय लोगों का कहना है कि हर साल यह समस्या सामने आती है, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला जा रहा.
इस आग के कारण नोएडा और आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है. हवा में धुएं के कणों की मात्रा बढ़ने से अस्थमा और अन्य सांस संबंधी बीमारियों से जूझ रहे लोगों को अधिक परेशानी हो रही है. इलाके के कई निवासियों ने इस मुद्दे पर प्रशासन से जल्द कार्रवाई की मांग की है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके.
नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों का कहना है कि दमकल कर्मी आग पर काबू पाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. अधिकारियों ने यह भी बताया कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक विस्तृत योजना बनाई जा रही है. लेकिन स्थानीय लोगों का मानना है कि जब तक डंपिंग ग्राउंड को दूसरी जगह शिफ्ट नहीं किया जाता, तब तक यह समस्या बनी रहेगी.
इस घटना के बाद स्थानीय लोगों ने प्रशासन से डंपिंग ग्राउंड को दूसरी जगह स्थानांतरित करने की मांग की है. उनका कहना है कि हर साल लगने वाली इस आग से ना सिर्फ पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि इससे लोगों की सेहत भी प्रभावित हो रही है.
अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है और क्या कोई स्थायी समाधान निकाल पाता है या नहीं. नोएडा में बढ़ते प्रदूषण और हर साल लगने वाली इस आग ने एक बार फिर पर्यावरण सुरक्षा को लेकर सरकारी नीतियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
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