तमिलनाडु : विपक्ष का नेता बनने के लिए पनीरसेल्वम और पलानीस्वामी में खींचतान
ईपीएस ने अपने डीएमके प्रतिद्वंद्वी संपत कुमार के ऊपर 93,802 वोटों के अंतर के साथ अपनी इडप्पडी सीट जीती, जो तमिलनाडु चुनाव के इतिहास में एक मुख्यमंत्री का सबसे बड़ा वोट अंतर है.
highlights
- पार्टी का आंतरिक कलह एक अलग रूप में सामने आ रहा है
- पूर्व मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी और पूर्व उप मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम के बीच विपक्ष का नेता बनने की होड़
- पार्टी मुख्यालय में हुई पार्टी कार्यकारिणी की बैठक के दौरान ईपीएस और ओपीएस दोनों के नामों की चर्चा
चेन्नई:
द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के अध्यक्ष मुथुवेल करुणानिधि स्टालिन ने तमिलनाडु के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली है. इधर एआईएडीएमके भले ही तमिलनाडु में सत्ता से बेदखल हो चुकी है, लेकिन अब पार्टी का आंतरिक कलह एक अलग रूप में सामने आ रहा है. यहां पूर्व मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी(ईपीएस) और पूर्व उप मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम(ओपीएस) के बीच विपक्ष का नेता बनने की होड़ मच गई है. हालांकि पलानीस्वामी समर्थक उन्हें विपक्षी नेता बनाने के लिए जोर लगा रहे हैं कि क्योंकि उनका मानना है कि पार्टी ने सलेम में 11 में से 10 सीटें जीत ली. इसके अलावा, ईपीएस ने अपने डीएमके प्रतिद्वंद्वी संपत कुमार के ऊपर 93,802 वोटों के अंतर के साथ अपनी इडप्पडी सीट जीती, जो तमिलनाडु चुनाव के इतिहास में एक मुख्यमंत्री का सबसे बड़ा वोट अंतर है. पलानीस्वामी का मजबूत गढ़ माने जाने वाले पश्विमी तमिलनाडु में पार्टी ने 54 में से 32 सीट जीती, जबकि पनीरसेल्वम का मजबूत गढ़ माने जाने वाले दक्षिण तमिलनाडु में पार्टी ने 60 में से केवल 16 सीट ही जीती है.
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शुक्रवार को पार्टी मुख्यालय में हुई पार्टी कार्यकारिणी की बैठक के दौरान ईपीएस और ओपीएस दोनों के नामों की चर्चा की गई. ओपीएस गुट का मानना है कि वन्नियार समुदाय के लिए ईपीएस द्वारा घोषित अंतिम मिनट के आरक्षण के परिणामस्वरूप तमिलनाडु के कई हिस्सों में उम्मीदवारों की हार हुई और इसके लिए निवर्तमान मुख्यमंत्री को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.
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तमिलनाडु विधानसभा सचिवालय ने शनिवार को 12 मई को विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव की तारीख की घोषणा की. यह प्रथा है कि अध्यक्ष को मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता की अध्यक्षता में नियुक्त किया जाना है. इसका मतलब है कि विपक्षी नेता की घोषणा 11 मई तक होनी है.
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