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VIDEO : ऐसे खिलाड़ी बन सकते हैं पोल वॉल्ट में भारत के लिए सर्गेई बुबका 

इस वक्त टोक्यो ओलंपिक चल रहा है. भारतीय खिलाड़ी अलग अलग खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. वे पदक भी जीत रहे हैं. लेकिन भारत के लिए देश में कोई ऐसा खिलाड़ी नहीं है जो पोल वाल्टर हो.

Updated on: 04 Aug 2021, 06:13 PM

नई दिल्ली :

इस वक्त टोक्यो ओलंपिक चल रहा है. भारतीय खिलाड़ी अलग अलग खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. वे पदक भी जीत रहे हैं. लेकिन भारत के लिए देश में कोई ऐसा खिलाड़ी नहीं है जो पोल वाल्टर हो. भारत ने कभी इस खेल में अपना परचम नहीं लहराया है. हालांकि देश में कुछ ऐसी प्रतिभाएं हैं, जिन्हें अगर मौका मिले और सही से इनकी कोचिंग हो तो आने वाले कुछ साल में भारत इस खेल में भी अच्छे खिलाड़ी दे सकता है. इस बीच सोशल मीडिया ट्विटर पर एक वीडियो तेजी के साथ वायरल हो रहा है, जिसमें दिखाया गया है कि एक बच्चा पोल वाल्टर बनने की कोशिश कर रहा है. हालांकि ये साफ नहीं है कि ये वीडियो कहां का है और ये बच्चा कौन है. लेकिन इस बच्चे ने घर के पास ही कहीं लकड़ियों को एकत्र कर पोल वाल्टर बनने की कोशिश की है. बच्चे ने शानदार तरीके से पोल पकड़कर ऊंची कूद मारी और बड़ी ही सावधानी से इसे पार भी कर लिया. 

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वैसे दुनिया में पोल वाल्टर के रूप में अगर याद किया जाए तो इस खेल में सबसे बड़ा नाम सर्गेई बुबका का है. पहले वे सोवियत संघके लिए खेले. सर्गेइ बुबका हो ट्रैक एंड फील्ड न्यूज की ओर से दो बार एथलीट ऑफ द इयर के लिए भी चुना गया. बुबका ने छह बार आईएएएफ विश्व चैंपियनशिप, एक बार ओलंपिक में गोल्ड जीता और पुरुषों के लिए पोल वॉल्ट के लिए 35 बार विश्व रिकॉर्ड तोड़ा. सर्गेई बुबका की खास बात ये थी कि उन्होंने अपने ही रिकॉर्ड 14 बार तोड़ा. वे छह मीटर और 6.10 मीटर दूर तक करने वाले पहले पोल वाल्टर रहे हैं. 

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आपको बता दें कि साल 2020 में स्वीडन के पोल वाल्टर अर्मांड डुप्लांटिस ने बुबका का करीब 26 साल पुराना विश्व रिकॉर्ड तोड़ा था. अर्मांड डुप्लांटिस ने रोम में गोल्डर गाला पियेत्रो मेनिया मीटर में दूसरी कोशिश में छह मीटर 15 सेंटीमीटर तक कूद लगाकर नया कीर्तिमान रच दिया था. बुबका ने साल 1994 में छह मीटर 14 सेंटीमीटर  कूद लगातार रिकॉर्ड बनाया था. खैर ये तो रही बुबका और डुप्लांटिस की बात, लेकिन भारत के लिए भी ये जरूरी है कि ऐसे ही कुछ नए और युवा खिलाड़ियों को तराशा जाए, उन्हें उचित कोचिंग दी जाए, ताकि वे देश ही नहीं, पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन कर सकें.