कभी आत्महत्या की सोच रहे थे, अब मेडल जीतकर बन गए हीरो
दोस्त के घर, टीन की चद्दर इनके हाथ पर गिर गई, जिसकी वजह से कलाई को काटना पड़ा. इस हादसे के बाद सुंदर गुर्जर जबर्दस्त निराशा में डूब गए, मगर फिर खुद को संभाला और सिर्फ एक हाथ से ही भाला यानी जैवलिन फेंकना शुरू किया.
highlights
- 2019 में सुंदर को अर्जुन अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है
- उन्हें 2018 में महाराणा प्रताप पुरस्कार भी मिल चुका है
- हादसे में कट गया था हाथ पर हार नहीं मानी और आगे बढ़े
नई दिल्ली :
जिंदगी कब करवट बदल ले कहा नहीं जा सकता इसलिए इंसान को कभी हार नहीं माननी चाहिए. इसका जीता जागता उदाहरण हैं टोक्यो पैरालंपिक (Takyo paralampic) में कांस्य पदक जीतने वाले सुंदर सिंह गुर्जर. सुंदर सिंह ने हाल में मीडिया को बताया कि आज से करीब पांच साल पहले वह आत्महत्या करने की सोचने लगे थे. आपको बता दें कि इस 25 वर्षीय पैरालंपिक खिलाड़ी का जन्म 1 जनवरी 1996 में राजस्थान के करौली में टोडाभीम तहसील के देवलेन गांव में हुआ था. खास बात ये हैं कि वह बचपन से दिव्यांग नहीं थे. वह साल 2015 तक सामान्य खेलों में हिस्सा लेते थे. इसी साल एक दोस्त के घर, टीन की चद्दर इनके हाथ पर गिर गई, जिसकी वजह से कलाई को काटना पड़ा. इस हादसे के बाद सुंदर गुर्जर जबर्दस्त निराशा में डूब गए, मगर फिर खुद को संभाला और सिर्फ एक हाथ से ही भाला यानी जैवलिन फेंकना शुरू किया.
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उन्होंने अपने आपको एक पैराएथलीट के तौर पर तैयार किया मगर बदकिस्मती ने यहां भी पीछा नहीं छोड़ा. सुंदर ने अपनी प्रतिभा के दम पर साल 2016 के रियो पैरालंपिक में क्वालीफाई किया मगर ओलंपिक इवेंट में सिर्फ 52 सेकेंड लेट हो जाने के कारण उन्हें प्रतियोगिता में डिसक्वालिफाई कर दिया गया. इसके बाद सुंदर, निराशा के सागर में डूब गए. सुंदर ने बताया कि इस झटके के बाद वह आत्महत्या करने की सोच रहे थे. हालांकि उनके कोच महावीर सैनी के अंदाजा हो गया कि सुंदर कुछ गलत कदम उठा सकते हैं. उन्होंने सुंदर को समझाया औऱ डिप्रेशन से बाहर निकाला. उन्होंने समझाया कि अभी सबकुछ खत्म नहीं हुआ है. इसके बाद सुंदर ने दोबारा तैयारी शुरू कि और एक के बाद एक सफलता की झड़ी लगा दी.
सुंदर ने पैरा वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता. वहीं, लंदन वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स में जैवलिन थ्रो में भी गोल्ड मेडल जीता. इसके बाद 2019 में दुबई में हुई वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी गोल्ड मेडल जीता. इसके अलावा 16वीं सीनियर नेशनल पैरा एथलेटिक चैंपियनशिप में दौरान राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाने के लिए 68.42 मीटर के निशान को छुआ था. इसके बाद आया वह आयोजन, जिसका सुंदर को चार साल से इंतजार था. इस बार टोक्यो पैरालंपिक में जैवलिन थ्रो में सुंदर ने कांस्य पदक जीत लिया. सुंदर की इस सफलता से सुंदर ही नहीं, पूरा देश गदगद है. आपको बता दें कि साल 2019 में सुंदर को अर्जुन अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है. इसके अलावा उन्हें 2018 में महाराणा प्रताप पुरस्कार भी मिल चुका है.
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