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कबड्डी को ओलम्पिक तक पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगेगा : दीपक हुड्डा

कबड्डी से जुड़े तीन अहम सदस्यों को लगता है कि हाल ही में राष्ट्रीय पुरस्कारों में इस खेल को जो सम्मान मिला है, वो इस बात को साबित करता है कि इस खेल को उच्च स्तर पर पहचान मिल रही है.

Updated on: 10 Sep 2020, 01:00 AM

नई दिल्ली:

कबड्डी से जुड़े तीन अहम सदस्यों को लगता है कि हाल ही में राष्ट्रीय पुरस्कारों में इस खेल को जो सम्मान मिला है, वो इस बात को साबित करता है कि इस खेल को उच्च स्तर पर पहचान मिल रही है. भारतीय कबड्डी टीम के मौजूदा कप्तान दीपक हुड्डा को इस साल अर्जुन अवार्ड मिला. वहीं कोच कृष्ण कुमार को द्रोणाचार्य अवार्ड मिला और मनप्रीत सिंह को ध्यान चंद अवार्ड से सम्मानित किया गया.

दीपक ने आईएएनएस से कहा, "कबड्डी खिलाड़ी और कोच सम्मान पाने वालों की सूची में वो चुनिंदा लोग थे, जिनका खेल ओलम्पिक में शामिल नहीं है. यह बताता है कि यह खेल नई पहचान हासिल कर रहा है. इसके अलावा, प्रो कबड्डी लीग ने हमेशा ही लोगों का ध्यान खींचा है. विश्व में देखा जाए तो बाकी देश भी इस खेल में बेहतर हो रहे हैं. इसलिए मुझे लगता है कि कबड्डी को ओलम्पिक तक जाने में ज्यादा समय नहीं लगेगा."

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वहीं 1999 से 2001 तक पुरुष कबड्डी टीम के कोच रहे कृष्ण कुमार ने कहा कि उस समय कबड्डी खिलाड़ियों की जो स्थिति उसकी तुलना आज से नहीं की जा सकती. उन्होंने कहा, "तब हम एयरपोर्ट पर आते थे और सीधे घर आ जाते थे. कोई हमें पहचानता नहीं था. अब ऐसा नहीं है. प्रो कबड्डी ने इसमें बड़ा रोल निभाया है."

दीपक के लिए अर्जुन अवार्ड जीतना सफलता की एक पहचान है. उन्होंने कहा, "मैंने जब कबड्डी खेलना शुरू किया था तब मेरा लक्ष्य भारत के लिए खेलना था. मैंने बाद में देखा कि राकेश कुमार, अनूप कुमार को उनकी उपलब्धियों के लिए अर्जुन अवार्ड मिला. तब मैंने महसूस किया कि यह अवार्ड कितने बड़े हैं और मैंने फैसला किया कि जब मैं अर्जुन अवार्ड पा लूंगा तो मैं अपने आपको सही मायने में सफल समझूंगा. इन अवार्ड के साथ काफी सारा सम्मान आता है. इसलिए मैंने जीतने के लिए काफी मेहनत की."

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वहीं मनप्रीत ने कहा कि उन्होंने इस सम्मान के लिए वर्षो तक इंतजार किया है. 2007 में विश्व कप जीतने के बाद उन्होंने अर्जुन अवार्ड के लिए आवेदन भेजा था, लेकिन उनकी अपील को खारिज कर दिया गया था.