रेगिस्तान में ‘डरे हुए’ Sachin Tendulkar की वो तूफानी पारी, जब वो विरोधी टीम के एडम गिलक्रिस्ट को लगना चाहते थे गले
मिडिल ऑर्डर बैट्समैन से सलामी बल्लेबाज बन चुके सचिन के करियर में साल था 1998 बेहद अहम है. इस साल का आगाज सचिन ने ढाका में इंडिपिेंडेंस कप के साथ किया. यहां बांग्लादेश और पाकिस्तान के खिलाफ सचिन ने बड़ी धमाकेदार बल्लेबाजी की लेकिन शतक नहीं लगा सके. इस
नई दिल्ली:
Sachin Tendulkar 1998 Sharjah: यूएई के शहर शारजाह के रेतीले मैदान पर तीन दिन के भीतर खेली गईं सचिन ये दो पारियां डेजर्ट स्टोर्म के नाम से जानी जाती है, लेकिन क्या आपको पता है कि इन दोनों में से पहली पारी को खेलते वक्त सचिन काफी डरे हुए थे. वह इतने डरे हुए कि वो अपने विरोधी विकेट कीपर यानी एडम गिलक्रिस्ट के गले लगना चाहते थे. तो चलिए आपको बताते हैं सचिन की उन दोनों पारियों की कहानी जिनकी यादें हर भारतीय क्रिकेट प्रेमी के जेहन में ताजा हैं.
मिडिल ऑर्डर बैट्समैन से सलामी बल्लेबाज बन चुके सचिन के करियर में साल था 1998 बेहद अहम है. इस साल का आगाज सचिन ने ढाका में इंडिपिेंडेंस कप के साथ किया. यहां बांग्लादेश और पाकिस्तान के खिलाफ सचिन ने बड़ी धमाकेदार बल्लेबाजी की लेकिन शतक नहीं लगा सके. इसके बाद टीम इंडिया पहुंची शारजाह जहां ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के साथ कोकाकोला कप खेला गया. इस टूर्नामेंट का आखिरी लीग मुकाबला 22 अप्रैल को खेला गया जिसमें ऑस्ट्रे्लिया ने भारत के सामने 285 रन का टारगेट रखा जो उस जमाने का बड़ा लक्ष्य माना जाता था.
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सचिन और सौरव की सलामी जोड़ी इस टारगेट का पीछा करने उतरी लेकिन जब टीम का स्कोर 38 रन था तभी सौरव गांगुली आउट हो गए. भारत के लिए ये मैच जीतना बहुत जरूरी था क्योंकि इससे पहले भारत ने तीन मैचों में से बस एक जीत हासिल की थी और यही कहनी न्यूजीलैंड की थी यानी फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से भिड़ने के लिए जीत जरूरी थी. 107 रन के स्कोर पर नयन मोंगिया भी आउट हो गए और तभी शारजाह के मैदान पर एक जोरदार रेतीली आंधी आई. सचिन का कहना है के उन्होंने अपने जीवन में पहली बार रेत का तूफान देखा था. वो इतने डर गए थे कि उन्हें लगा कि ये रेत का तूफान कहीं उन्हें उड़ा ना ले जाए और वो अपने पीछे खड़े विकेटकीपर एडम गिलक्रिस्ट को पकड़कर गले लगाना चाहते थे.
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बहरहाल जब 25 मिनट के बाद ये तूफान तो थम गया लेकिन खेल दोबारा शुरू होने पर तब सचिन के बल्ले से एक ऐसा तूफान निकला जिसने ऑस्ट्रेलियाई टीम को हैरत में डाल दिया. भारत को 46 ओवर में 276 रन का टारगेट दिया गया था और सचिन का बल्ला कहर ढा रहा था. इंडिया को जीत के लिए 19 गेंदों में 34 रनों की दरदार थी लेकिन माइकल फ्लेमिंग ने सचिन को आउट कर दिया.131 गेंदों पर 143 रन की इस पारी में सचिन ने 9 चौके और पांच छक्के लगाए. सचिन पैवेलियन जा चुके थे. वीवीएस लक्ष्मण और ऋषिकेश कानितकर टीम इंडिया को जीत नहीं दिला सके. लेकिन पिक्चर अभी बाकी थी.
भारत हार जरूर गया लेकिन सचिन की ताबड़तोड़ बल्लेबाजी ने उसे नेट रन रेट के मामले में न्यूजीलैंड से आगे कर दिया और 24 अप्रैल को फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के सामने टीम इंडिया ही थी. 24 अप्रैल यानी सचिन का जन्मदिन था. फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 273 रन का टारगेट दिया.इसके जवाब में जब भारत का स्कोर 39 रन था तह सौरव गांगुली आउट हो गए, लेकिन सचिन गजब की फॉर्म में थे. उन्होंने पहले मोंगिया और फिर कप्तान अजहर के साथ लंबी पार्टनरशिप की और शानदार शतक जड़ा. सचिन ने तीन छक्के और 12 चौके जड़कर 131 गेंदों पर 134 रन बनाए.
जब सचिन पैवेलियन लौटे तब भारत को 33 गेंदों पर 28 रन की जरूरत थी. इस बार टीम इंडिया नहीं चूकी और भारत ने छह विकेट से ये फाइनल मुकाबला जीत लिया.सचिन की ये वो दो बैक टू बैक पारियां थी जिन्हें क्रिकेट की दुनिया में हमेशा याद रखा जाएगा.खुद सचिन का मानना है कि इन दो पारियों ने गेम को को लेकर उनक माइंड सेट हमेशा हमेशा के लिए बदल दिया.
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