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IPL 2022: दुकान पर काम करता था यह खिलाड़ी, अब बल्लेबाजों में खौफ!

आईपीएल 2022 (IPL 2022) के लिए मेगा ऑक्शन में आरसीबी ने हर्षल पटेल को 10 करोड़ 75 लाख रुपए में खरीदकर अपनी टीम में शामिल किया है.

Updated on: 26 Apr 2022, 04:58 PM

नई दिल्ली:

आईपीएल 2022 (IPL 2022) का रोमांच अपने चरम पर है. सभी टीमें एक-दूसरे से भिड़कर जीतने की कोशिश कर रही हैं. लेकिन जीत उसी टीम की हो रही है, जिसका प्रदर्शन शानदार है. आईपीएल के इस सीजन में आरसीबी (RCB) भी शानदार प्रदर्शन कर रही है. आईपीएल 2021 में टीम के दिग्गज गेंदबाज हर्षल पटेल (Harshal Patel) ने सबसे ज्यादा 32 विकेट लेकर पर्पल कैप (Purple Cap) अपने नाम किया था. यही वजह है कि मेगा ऑक्शन (Mega Auction) में आरसीबी ने हर्षल पटेल को 10 करोड़ 75 लाख रुपए में खरीदकर अपनी टीम में शामिल किया है. 

आईपीएल 2022 (IPL 2022) में भी हर्षल पटेल (Harshal Patel) शानदार गेंदबाजी कर रहे हैं. अबतक खेले 7 मुकाबलों में इस दौरान हर्षल पटेल 9 विकेट अपने नाम करने में सफल हुए हैं. आज हम आपको हर्षल पटेल (Harshal Patel) के संघर्ष को बताएंगे कि कैसे हर्षल पटेल संघर्ष करते हुए यहां तक का सफर तय किया है. 

आईपीएल 2022 (IPL 2022) में 10 करोड़ 75 लाख रुपए पाने वाले हर्षल पटेल (Harshal Patel) को आईपीएल 2021 में हर्षल पटेल को 20 लाख रुपए में आरसीबी (RCB) ने ही अपनी टीम में शामिल किया था. एक वक्त ऐसा भी था, जब हर्षल पटेल (Harshal Patel) छोटी सी दुकान में 12 घंटे काम करते थे, और उनको रोज के 1500 रुपये मिलते थे. हर्षल भारत में नहीं बल्कि अमेरिका (America) में काम करते थे. हर्षल पटेल की जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव आए. लेकिन, हमेशा वो हालातों से लड़ते हुए चैंपियन (Champion) बनकर बाहर निकले.

आपको बता दें कि हर्षल पटेल (Harshal Patel) ने ब्रेकफास्ट विद चैम्पियंस शो में अपनी जिंदगी से जुड़े कई किस्सों के बारे में बात की. हर्षल पटेल ने बताया कि मैंने बचपन से ही पिताजी को हफ्ते के सातों दिन काम करते देखा. सर्दी-गर्मी, बरसात मौसम चाहें कोई भी हो, वो काम करते रहते थे. मेरे माता-पिता 2008 में अमेरिका गए थे. तब मेरी उम्र 17 साल थी और वो आर्थिक मंदी का साल था. उस दौर में भारत के लोग, जिनकी शिक्षा बहुत अच्छी नहीं थी और जिन्हें वहां की भाषा नहीं आती थी, उन्हें वहां जाकर सालों मजदूरी करनी पड़ती थी.

हर्षल पटेल ने आगे कहा कि अमेरिका पहुंच गए तो काम तो करना था. क्योंकि परिवार और अपनी जिम्मेदारी उठानी थी. तो मैं न्यूजर्सी में एक पाकिस्तानी शख्स की परफ्यूम की दुकान पर नौकरी करने लगा. अंग्रेजी आती नहीं थी. क्योंकि गुजराती मीडियम में सारी पढ़ाई हुई थी. जिस इलाके में यह दुकान थी. वहां लैटिन और अफ्रीकी अमेरिकन रहते थे. उनकी अंग्रेजी स्लैंग बाकी अमेरिकियों से बिल्कुल अलग था. मैंने धीरे-धीरे वो गैंगस्टर इंग्लिश सीख ली.

हर्षल पटेल ने आगे बताया कि उस परफ्यूम की दुकान पर हर शुक्रवार को लैटिन और अफ्रीकी अमेरिकन आते थे. इसी दिन इनको पैसा मिलता था और 200 डॉलर की सैलरी में से अकेले 100 डॉलर परफ्यूम की बोतल खरीदने में खर्च कर देते थे और सोमवार को वही बोतल लेकर वापस आते थे और यह कहते थे कि मैंने इसमें से दो-तीन बार ही परफ्यूम लगाया है. मैं इसे वापस करना चाहता हूं. मेरे पास खाना नहीं है. मेरे लिए यह जीवन बदलने वाला अनुभव रहा. क्योंकि मैंने पैसों और काम की अहमियत समझी.

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हर्षल पटेल ने जॉब को लेकर बताया कि मेरे अंकल-आंटी भी नौकरी करते थे और मुझे ऑफिस जाते वक्त दुकान के बाहर छोड़ देते थे. मैं 7 बजे ही पहुंच जाता था. जबकि दुकान 9 बजे खुलती थी. ऐसे में मैं कई बार पास के एजिलाबेथ स्टेशन पर दो घंटे बैठा रहता था और फिर रात 8 बजे काम करके घर लौटता था. यानी रोज 12-13 घंटे मैं काम कर रहा था और मुझे 35 डॉलर दिन के मिलते थे.