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चीनी मोबाइल कंपनी VIVO ने छोड़ी IPL सीजन 13 की स्पॉन्सरशिप, क्या Jio बनेगा नया स्पॉन्सर

साल 2017 में चीनी मोबाइल कंपनी वीवो ने 5 साल तक के लिए आईपीएल के टाइटल स्पॉन्सरशिप के लिए 2199 करोड़ रुपये की डील की थी. जिसके लिए चीनी कंपनी वीवो हर साल 440 करोड़ रुपये का भुगतान कर रही थी.

Updated on: 05 Aug 2020, 03:43 PM

नई दिल्ली:

लद्दाख के गलवान घाटी में भारत और चीनी सेना के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद देशभर में चीन का विरोध शुरू हो गया. सरकार ने चीन के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए कई चीनी मोबाइल ऐप को देश में प्रतिबंधित कर दिया. इसके साथ ही देशभर के लोगों ने चीनी वस्तुओं और सेवाओं का भी बहिष्कार करना शुरू कर दिया, जिसका सीधा और बुरा प्रभाव चीन की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है. चीन के बहिष्कार के बीच जब इंडियन प्रीमियर लीग की स्पॉन्सरशिप की बात आई तो आईपीएल की गवर्निंग काउंसिल ने अपने हाथ खड़े कर दिए. रविवार को हुई आईपीएल की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में ये फैसला लिया गया कि चीनी मोबाइल कंपनी वीवो टूर्नामेंट की स्पॉन्सर बनी रहेगी.

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गवर्निंग काउंसिल की बैठक में लिए गए इस फैसले के बाद देशभर में इसका जबरदस्त विरोध हुआ. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और स्वदेशी जागरण मंच ने भी आईपीएल का चीनी मोबाइल कंपनी वीवो के साथ जुड़े रहने का विरोध किया था. इतना ही नहीं, आईपीएल और वीवो के बीच इस रिश्ते से नाराज संगठनों और देश की जनता ने इंडियन प्रीमियर लीग का भी बहिष्कार करने की धमकी दे डाली. आईपीएल की टाइटल स्पॉन्सर वीवो ने भारतीयों के बीच चीन के प्रति विरोध की आग को देखते हुए खुद ही आगे आई और 13वें सीजन की स्पॉन्सरशिप से हट गई.

बता दें कि रविवार को हुई बैठक में आईपीएल की गवर्निंग काउंसिल में स्पॉन्सरशिप के लिए वीवो को रीटेन करने का फैसला लिया गया था. इसके पीछे आईपीएल ने कहा था कि मौजूदा वित्तीय संकट को देखते हुए इतने कम समय में नया स्पॉन्सर ढूंढना काफी मुश्किल है, इसलिए वीवो को स्पॉन्सरशिप से नहीं हटाया जा सकता है. बताते चलें कि साल 2017 में चीनी मोबाइल कंपनी वीवो ने आईपीएल के टाइटल स्पॉन्सरशिप के लिए 2199 करोड़ रुपये की डील की थी. जिसके लिए चीनी कंपनी वीवो हर साल 440 करोड़ रुपये का भुगतान कर रही थी. स्पॉन्सरशिप से मिलने वाली राशि बीसीसीआई और आईपीएल में आधी-आधी बांटी जाती है. आईपीएल को मिलने वाले पैसे सभी फ्रेंचाइजियों में बराबर बांटे जाते हैं. स्पॉन्सरशिप से हटने के बाद केवल बीसीसीआई को ही नहीं बल्कि फ्रेंचाइजियों को भी भारी नुकसान होगा.

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19 सितंबर से यूएई में शुरू होने वाले इंडियन प्रीमियर लीग के 13वें सीजन के लिए अब काफी कम समय बच रहा है. ऐसी स्थिति में आईपीएल के टाइटल स्पॉन्सर के लिए नए विकल्प की तलाश करना काफी मुश्किल चुनौती है. हालांकि, ऐसी संभावनाएं जताई जा रही हैं कि भारतीय टेलीकॉम कंपनी रिलायंस जियो आईपीएल के 13वें सीजन की स्पॉन्सरशिप ले सकता है. साल 2017 में चीनी मोबाइल कंपनी वीवो ने 5 साल तक के लिए आईपीएल के टाइटल स्पॉन्सरशिप के लिए 2199 करोड़ रुपये की डील की थी. जिसके लिए चीनी कंपनी वीवो हर साल 440 करोड़ रुपये का भुगतान कर रही थी. स्पॉन्सरशिप से मिलने वाली राशि बीसीसीआई और आईपीएल में आधी-आधी यानि बांटी जाती है.

वीवो से मिलने वाले स्पॉन्सरशिप के 220 करोड़ रुपये बीसीसीआई लेती थी जबकि बाकी के 220 करोड़ रुपये आईपीएल फ्रेंचाइजियों में बराबर बांटे जाते थे. कोरोना काल में हुए वित्तीय घाटे को देखते हुए आईपीएल के टाइटल स्पॉन्सरशिप के लिए नई कंपनी मिलना काफी मुश्किल है. स्पॉन्सरशिप से हटने के बाद केवल बीसीसीआई को ही नहीं बल्कि फ्रेंचाइजियों को भी भारी नुकसान होगा. कोरोना वायरस की वजह से यूएई में हो रहे आईपीएल के 13वें सीजन से फ्रेंचाइजियों के रेवेन्यू में पहले ही भारी गिरावट हो चुकी है.

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आईपीएल का 13वां सीजन मुख्य रूप से टीवी पर ही दिखाया जाएगा. हालांकि, यूएई क्रिकेट बोर्ड की रिक्वेस्ट के बाद वहां की सरकार ने पहले हफ्ते के बाद सीमित संख्या में दर्शकों में प्रवेश की आज्ञा दे दी है. लेकिन, इसके बावजूद नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकती है. एक अनुमान के मुताबिक आईपीएल की सभी फ्रेंचाइजियों को इस सीजन में करीब 50 करोड़ रुपये तक का नुकसान हो सकता है.