तेंदुलकर और द्रविड़ को गलत आउट देने पर अंपायर ने 12 साल बाद मांगी माफी, बोले- मुझे पछतावा है
टीम इंडिया के लिए गलत फैसले लेने वाले स्टीव बकनर ने अब करीब 12 साल बाद अपनी गलती को मानते हुए दुख जताया है. बकनर ने कहा कि मैंने सिडनी टेस्ट 2008 में दो गलितयां कीं थी.
नई दिल्ली:
दिग्गज क्रिकेट अंपायर स्टीव बकनर (Steve Bucknor) हमेशा से ही एक सम्मानिक अंपायर रहे, लेकिन अपने करियर के अंत में उन्होंने कुछ ऐसी गलतियां की जिसकी वजह से उन्होंने खुद अपनी छवि खराब कर ली थी. साल 2008 में ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गई भारतीय टीम को बकनर के कई गलत फैसलों का शिकार होना पड़ा था. बकनर के गलत फैसलों की वजह से ही भारतीय टीम को हार का मुंह देखना पड़ा था. अपने गलत फैसलों की वजह से कैरेबियाई अंपायर की दुनियाभर में खूब किरकिरी हुई, जिसके जिम्मेदार वे खुद थे.
साल 2008 में खेले गए सिडनी टेस्ट में स्टीव बकनर ने सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) को एक बार नहीं बल्कि दो बार गलत आउट दिया था. सचिन के अलावा उन्होंने राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) को भी गलत आउट करार दिया था. जिसकी वजह से टीम इंडिया वो मैच हार गई थी. सिडनी टेस्ट (Sydney Test) में सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ को गलत आउट देने की वजह से भारतीय क्रिकेट फैंस में बकनर को लेकर काफी गुस्सा था. इस टेस्ट के बाद से भारतीयों में बकनर की छवि पूरी तरह से धूमिल हो चुकी थी.
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टीम इंडिया के लिए गलत फैसले लेने वाले स्टीव बकनर ने अब करीब 12 साल बाद अपनी गलती को मानते हुए दुख जताया है. बकनर ने कहा कि मैंने सिडनी टेस्ट 2008 में दो गलितयां कीं थी. पहली गलती तब हुई जब भारत अच्छा कर रही थी, ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज को शतक बनाने दिया. दूसरी गलती मैच के पांचवें दिन की थी, जिसके कारण शायद भारत को मैच गंवाना पड़ा. लेकिन फिर भी, पांच दिन में वो दो गलतियां. क्या मैं पहला अंपायर था जिसने टेस्ट मैच में दो गलतियां कीं? लेकिन फिर भी वो दो गलतियां मुझे आज भी परेशान करती हैं.
बता दें कि बकनर की गलत अंपायरिंग की वजह से भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच काफी टेंशन जैसी स्थिति हो गई थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, टीम इंडिया ने तो यहां तक सीरीज में बाकी के बचे मैचों को खेलने से मना करने तक का मन बना लिया था. हालांकि, ऐसी नौबत नहीं आई क्योंकि आईसीसी ने खुद इस मामले में संज्ञान लेते हुए स्टीव बकनर को तीसरे टेस्ट मैच से बाहर निकाल दिया था.
सिडनी टेस्ट में की गई गलतियों के 12 साल बाद बकनर ने कहा, ''आप लोगों को ये समझना चाहिए कि गलतियां क्यों होती हैं. आप ये बिल्कुल नहीं चाहेंगे कि एक ही तरह की गलती को दोबारा किया जाए. मैं यहां कोई बहाना नहीं मार रहा हूं, मैच के दौरान ऐसा बहुत बार होता है कि तेज हवा की वजह से आपको आवाज सुनाई नहीं देती. कॉमेंटेटर्स स्टम्प माइक से आवाज सुन सकते हैं लेकिन अंपायर इसे ठीक से नहीं सुन सकते हैं. ये सब मैच से जुड़ी कुछ चीजें होती हैं जिनके बारे में दर्शकों को नहीं मालूम होता.''
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सिडनी टेस्ट में स्टीव बकनर की अंपायरिंग को देखकर ऐसा लग रहा था कि वे जानबूझकर टीम इंडिया को हराना चाहते हैं. उन्होंने सिर्फ सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ को गलत आउट ही नहीं बल्कि ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज एंड्रयू सायमंड्स को आउट होने के बावजूद नॉटआउट दे दिया था. सायमंड्स को नॉटआउट देने का ये गलत फैसला टीम इंडिया को काफी भारी पड़ा, जिसका नतीजा भारत की हार के साथ आया. दरअसल, एंड्रयू सायमंड्स ने ईशांत शर्मा की एक गेंद पर विकेटकीपर एमएस धोनी को कैच थमा दिया था. लेकिन, बकनर ने उन्हें नॉटआउट करार दे दिया था.
बकनर के इस गलत फैसले के समय सायमंड्स सिर्फ 30 रन बनाकर खेल रहे थे, जिसके बाद उन्होंने शतक जड़ते हुए 162 रनों की पारी खेली थी. सायमंड्स ने बकनर ने गलत फैसले का पूरा फायदा उठाते हुए एक समय 6 विकेट के नुकसान पर 134 रनों पर जूझ रही ऑस्ट्रेलिया को 463 रनों तक पहुंचा दिया था. टीम इंडिया और खासतौर पर सचिन तेंदुलकर के साथ स्टीव बकनर ने शायद ईमानदारी से अपना काम नहीं किया. सिडनी टेस्ट के अलावा और भी ऐसे कई मौके थे जब उन्होंने तेंदुलकर को नॉटआउट होने पर भी गलत तरीके से आउट दिया. तेंदुलकर को गलत तरीके से आउट देने की वजह से बकनर भारत में चर्चा का विषय बने रहते थे.
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