logo-image

पैदा होते ही एक्सचेंज हो गए थे, सुनील गावस्कर के बचपन का ये किस्सा नहीं जानते होंगे आप

Sunil Gavaskar Birthday : सुनील गावस्कर के बचपन से जुड़ा क्या ये किस्सा जानते हैं आप...

Updated on: 10 Jul 2023, 07:56 AM

नई दिल्ली:

Sunil Gavaskar Birthday : क्रिकेट के मैदान पर अपने बल्ले की धाक जमाने वाले सुनील गावस्कर 10 जुलाई को अपना 74वां जन्मदिन मना रहे हैं. इस मौके पर क्रिकेट के गलियारों में एक बार फिर गावस्कर के रिकॉर्ड्स की चर्चा होगी. मगर, हम आपको यहां दिग्गज की जिंदगी के बचपन से जुड़े उस किस्से के बारे में बताने वाले हैं, जिसके बारे में शायद ही आप जानते होंगे और यकीन मानिए इसे जानकर आप भी उतने ही हैरान होंगे, जितने हम हुए हैं...

पैदा होते ही मां-बाप से बिछड़ गए थे Sunil Gavaskar 

आपने अक्सर खबरों में पढ़ा और फिल्मों में देखा होगा की हॉस्पिटल में बच्चे बदल जाते हैं... मगर, सुनील गावस्कर के बचपन में ये घटना हकीकत में हो चुकी है. जी हां, बचपन में गावस्कर अपने माता-पिता से बिछड़ गए थे.

10 जुलाई 1949 को गावस्कर का जन्म मुंबई के पुरंदरिया हॉस्पिटल में हुआ. बच्चे को देखने के लिए अस्पताल में कई रिश्तेदार पहुंचे और तभी एक रिश्तेदार ने नोटिस किया की बच्चे के कान में छोटा सा छेद है. मगर, फिर जब कुछ दिनों बाद वह वापस से हॉस्पिटल आए, तो देखा की वो छेद नहीं था. तभी उनको लगा की शायद बच्चा बदल गया है. इसके बाद काफी बवाल करने के बाद पता चला की बच्चा एक मछुआरन के पास था. मगर, इस बात के सामने आते ही गावस्कर के माता-पिता उन्हें वापस ले आए. 

ये भी पढ़ें : रांची के इस बोर्डिंग स्कूल में पढ़ती हैं जीवा, मंथली फीस जानकर चकरा जाएगा सिर

अपनी बुक में भी गावस्कर ने किया है जिक्र

सुनील गावस्कर ने अपनी जिंदगी के इस किस्से के बारे में अपनी बुक 'Sunny Days'  में भी शामिल किया है. वहां दिग्गज ने लिखा है कि, "मैं कभी क्रिकेटर ना बन पाता और ना ही ये बुक लिखी गई होती, यदि मेरी जिंदगी में पैनी नजर वाले नारायण मासुरकर नहीं होते. असल में, जब मैं पैदा हुआ तब वो मुझे अस्पताल में देखने आए थे और उन्होंने मेरे कान में एक बर्थ मार्क नोटिस किया, लेकिन फिर अगले दिन जब वो मुझे मिलने आए, तो उन्होंने जिस बच्चे को गोद में लिखा, उसके कान में वो निशान नहीं था. ऐसे में पूरे अस्पताल में ढुंढ़ाई मच गई, तब देखा गया की मैं एक मछुआरे की पत्नी के पास सो रहा था. हॉस्पिटल में नर्स ने गलती से मुझे वहां सुला दिया था. शायद नहलाते वक्त वह बदल गए थे. लेकिन वाकई अगर मेरे चाचा ने ध्यान नहीं दिया होता, तो हो सकता था मैं एक मछुआरा होता."