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इतने दिन में होती है क्रिकेट खिलाड़ियों की आंखों की जांच, BCCI ने किया खुलासा

बंगाल क्रिकेट संघ (सीएबी) ने सोमवार को प्रस्ताव रखा है कि कोविड-19 के बाद खेल शुरू होने पर हर खिलाड़ी की आंखों की जांच की जाएगी. इसी के साथ यह पता चला है कि बीसीसीआई बीते तीन साल से अपने खिलाड़ियों के साथ ऐसा करती आई है.

Updated on: 02 Jun 2020, 03:50 PM

New Delhi:

बंगाल क्रिकेट संघ (CAB) ने सोमवार को प्रस्ताव रखा है कि कोविड-19 (Covid 19) के बाद खेल शुरू होने पर हर खिलाड़ी की आंखों की जांच की जाएगी. इसी के साथ यह पता चला है कि बीसीसीआई (BCCI) बीते तीन साल से अपने खिलाड़ियों के साथ ऐसा करती आई है. बीसीसीआई (BCCI) के एक अधिकारी ने कहा कि यह सीएबी (CAB) की तरफ से अच्छी पहल है, लेकिन बीसीसीआई बीते तीन साल से हर तिमाही में अपने खिलाड़ियों की आंखों की जांच करवा रही है. उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि यह उनकी तरफ से की गई अच्छी पहल है क्योंकि क्रिकेट रिफ्लेक्सेस और हाथ-आंख के हाथों के संयोजन का खेल है. विराट और उनकी टीम बीते तीन साल से हर तिमाही अपनी आंखों की जांच करा रही है. यह अनुबंधित खिलाड़ियों के साथ किए गए करार का हिस्सा है.

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उन्होंने कहा, आपको समझना होगा कि हाथ-आंखों का संयोजन आपकी ताकत है और अगर किसी को समस्या है तो आप लैंस या चश्मे की मदद से इसे सुलझा सकते हैं क्योंकि आप 140 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से गेंद खेल रहे हैं. ऐसे में अगर आप जरा सी देर के लिए भी चूकते हैं तो काफी नुकसान हो सकता है.
बंगाल क्रिकेट संघ (कैब) ने कोविड-19 से जुड़े प्रतिबंधों को हटने के बाद फिर से शिविर लगाने पर अंडर-23 और सीनियर टीम के खिलाड़ियों के लिए आंखों की जांच को अनिवार्य कर दिया है. यह पहली बार है जब घरेलू क्रिकेट में खिलाड़ियों की आंखों की जांच को अनिवार्य किया जाएगा. इसका फैसला कैब प्रशासन और बंगाल क्रिकेट टीम की कोचिंग इकाई के बीच चर्चा के दौरान हुआ. इस बैठक में यह बात उठी कि लंबे समय तक क्रिकेट से दूर रहने पर खिलाड़ियों की आंखों की क्षमता प्रभावित होती है. कैब के अध्यक्ष अविषेक डालमिया ने कहा, आंखों की क्षमता और लचीलापन क्रिकेट में दो महत्वपूर्ण तत्व हैं. यही कारण है कि मुख्य कोच अरुण लाल ने सुझाव दिया कि परीक्षण को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए. अगर किसी के आंखों में समस्या हुई तो हम उसका समाधान कर सकते हैं.

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भारत के पूर्व विकेटकीपर दीप दासगुप्ता ने भी इसे एक स्वागतयोग्य कदम बताया क्योंकि क्रिकेट भी हाथों और आंखों के सामंजस्य का खेल है. बंगाल के इस पूर्व कप्तान ने कहा, जब आप मैदान पर वापसी करते है तो आप आंखों की क्षमता की जांच करना चहते है इसमें कुछ भी गलत नहीं है. अक्सर यह 20/20 की दृष्टि की जगह 19/20 हो जाता है और आपको पता भी नहीं चलता है. ऐसे में अपको गेंद को ठीक से देखने में परेशानी हो सकती है.

(एजेंसी इनपुट)