जब रॉबर्ट मुगाबे से परेशान इन खिलाड़ियों ने छोड़ा था देश, हैरान कर देगा पूरा मामला
राष्ट्रपति की नीतियों से परेशान होकर राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के दो खिलाड़ी हैनरी औलंगा और एंडी फ्लावर ने उनके खिलाफ विद्रोह छेड़ दिया था. विश्व कप 2003 की मेजबानी दक्षिण अफ्रीका के अलावा जिम्बाब्वे और केन्या को भी मिली थी.
नई दिल्ली:
जिम्बाब्वे के पूर्व राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे का 95 साल की उम्र में सिंगापुर में निधन हो गया. मुगाबे लंबे समय से बीमार चल रहे थे. नवंबर 2017 में सैन्य अधिग्रहण की वजह से बेदखल होने से पहले करीब चार दशकों तक उन्होंने जिम्बाब्वे पर हुकूमत की. जिम्बाब्वे के मौजूदा राष्ट्रपति इमर्सन म्गांगवा ने दो हफ्ते पहले ही कैबिनेट की मीटिंग में कहा था कि डॉक्टरों ने उनका इलाज बंद कर दिया है. मुगाबे 1980 से 1987 तक प्रधानमंत्री और 1987 से 2017 तक राष्ट्रपति रहे थे. उन्होंने 37 सालों तक जिम्बाब्वे का नेतृत्व किया.
नायक का विवादों से भी रहा नाता
गौरतलब है कि मुगाबे लंबे समय तक अपने देश और पूरे महाद्वीप के लिए अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष करते रहे. उन्होंने जिम्बाब्वे से अंग्रेजों के शासन का अंत करने में अहम भूमिका निभाई. उन्होंने देश में ही नहीं पूरे अफ्रीका महाद्वीप में संघर्ष किया. हालांकि रॉबर्ट मुगाबे का लंबा कार्यकाल विवादों से भी भरा रहा. उनके तानाशाह रवैये का असर देश की अर्थव्यवस्था के साथ दूसरे क्षेत्रों पर भी पड़ा.
रॉबर्ट मुगाबे की तानाशाही से परेशान दो क्रिकेटरों को छोड़ना पड़ा देश
राष्ट्रपति की नीतियों से परेशान होकर राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के दो खिलाड़ी हैनरी ओलंगा और एंडी फ्लावर ने उनके खिलाफ विद्रोह छेड़ दिया था. विश्व कप 2003 की मेजबानी दक्षिण अफ्रीका के अलावा जिम्बाब्वे और केन्या को भी मिली थी. विश्व कप 2003 में जिम्बाब्वे का पहला मैच नामीबिया के खिलाफ खेला गया था, जिसमें हैनरी ओलंगा और एंडी फ्लावर राष्ट्रपति के विरोध में बाजुओं पर काली पट्टी लगाकर मैदान पर उतरे थे. जिसके बाद दोनों खिलाड़ियों को देश छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया गया था.
जिम्बाब्वे के खिलाफ नहीं खेला था इंग्लैंड
दोनों खिलाड़ियों का कहना था कि तत्कालीन राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे की नीतियों ने देश में लोकतंत्र की हत्या कर दी थी. दोनों खिलाड़ियों ने राष्ट्रपति मुगाबे के रवैये की वजह से ही जिम्बाब्वे छोड़ दिया था और इंग्लैंड में जाकर बस गए थे. लेकिन ओलंगा को मिल रही जान से मारने की धमकी के बाद वे ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड चले गए थे. हैनरी ओलंगा जिम्बाब्वे की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम में खेलने वाले पहले अश्वेत क्रिकेटर थे. विश्व कप के दौरान ही इंग्लैंड ने मुगाबे की श्वेतों के प्रति नीतियों की वजह से जिम्बाब्वे के खिलाफ मैच खेलने के लिए मना कर दिया था. जिसके बाद आईसीसी ने जिम्बाब्वे को मैच का विजेता घोषित कर दिया था.
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